अलर्ट: भारत में पोलियो फिर से पसार सकता है पांव, वैक्सीन में मिला वायरस
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अलर्ट: भारत में पोलियो फिर से पसार सकता है पांव, वैक्सीन में मिला वायरस

दिल्ली से सटे गाजियाबाद स्थित मेडिकल कंपनी बायॉमेड की ओर से बनाई गई ओरल पोलियो वैक्सीन में टाइप-2 पोलियो वायरस पाए गए हैं. वैक्सीन में इस वायरस के पाए जाने की सूचना ने पोलियो उल्मूलन अभियान से जुड़े लोगों टेंशन बढ़ा दी है.

भारत से पोलियो लगभग खत्म हो चुके हैं.

नई दिल्ली: भारत में पोलियो फिर से दस्तक दे सकता है. देश का भविष्य खराब करने वाली यह बीमारी एक बार फिर से लोगों को प्रकोप बनकर आ सकता है. दरअसल, दिल्ली से सटे गाजियाबाद स्थित मेडिकल कंपनी बायॉमेड की ओर से बनाई गई ओरल पोलियो वैक्सीन में टाइप-2 पोलियो वायरस पाए गए हैं. वैक्सीन में इस वायरस के पाए जाने की सूचना ने पोलियो उल्मूलन अभियान से जुड़े लोगों टेंशन बढ़ा दी है. पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत से करीब-करीब पोलियो खात्मे की घोषणा कर चुका है.

  1. पोलियो की वैक्सीन में मिला वायरस
  2. वैक्सीन की सप्लाई तुरंत रोकने के आदेश
  3. महाराष्ट्र, यूपी में भेजी गई थी वैक्सीन

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक वैक्सीन में पोलिया वायरस मिलने की सूचना को स्वास्थ्य मंत्रालय ने गंभीरता से लिया और जल्द से जल्द इसका हल ढूंढने को कहा गया है. वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा जा रहा है कि ये पोलियो वैक्सीन उत्तर प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र में बच्चों को पिलाए गए हैं. वायरस मिलने की खबर के बाद इन दोनों राज्यों को अलर्ट पर रहने को कहा गया है.

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अधिकारी का कहना है कि सरकार की ओर से चलाए जा रहे पोलियो वैक्सिनेशन अभियान के लिए बायॉमेड कंपनी वैक्सीन की सप्लाई कर रही थी. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के कुछ बच्चों के मल में पोलियो के वायरस मिले हैं. इन सैंपल को जांच के लिए भेज दिया गया है. बताया जा रहा है कि शुरुआती जांच में पाया गया है कि सैंपल में टाइप-2 पोलियो वायरस पाए गए हैं.

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वायरस मिलने की सूचना के बाद वैक्सीन बनाने वाली कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. साथ ही कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसके अलावा इस कंपनी में तैयार वैक्सीन की सप्लाई पूरी तरह बंद कर दिया गया है. जो वैक्सीन पहले से सप्लाई हो चुके थे, उनके उपयोग पर रोक लगा दी गई है.

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स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि 25 अप्रैल 2016 तक सभी वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से पोलिया टाइप-2 के वायरस नष्ट करने के आदेश दिए गए थे. ऐसे में किसी एक कंपनी के वैक्सीन में वायरस कैसे रह गए, इसकी जांच होनी चाहिए.

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