अमेरिका वालों ने भी खेली ब्रज की लट्ठमार होली
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अमेरिका वालों ने भी खेली ब्रज की लट्ठमार होली

विदेशियों ने राजस्थानी लोक गीत और डांडिया की भी मनमोहक प्रस्तुति पेश की जिसे देख कर वहां मौजूद दर्शकों ने तालियां बजा कर उनका उत्साह बढ़ाया. हिंदुस्तानी सभ्यता और संस्कृति को सीखने-जानने का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा जिसे लेकर स्थानीय लोगों ने भी खूब जोश दिखाया.

 कान्हा की नगरी में दो देशों की संस्कृति का मिलन

मथुरा: ब्रज में होली के उत्सव की शुरुआत हो चुकी है जिसके रोज नए-नए रंग दिख रहे हैं और इन रंगों में एक ताजा रंग अमेरिकी लोगों की होली का भी घुल गया है.अमेरिका के न्यू टाउन से आये विदेशी सैलानियों ने यहां जम कर होली खेली. उन लोगों ने राधाकृष्ण बनकर खूब रंग बिखेरे. यही नहीं अमेरिका से आए इन सैलानियों ने हिंदुस्तानी संस्कृति का आनंद लेेत हुए लट्ठमार होली और फूलों को होली भी खेली. 

विदेशियों ने राजस्थानी लोक गीत और डांडिया की भी मनमोहक प्रस्तुति पेश की जिसे देख कर वहां मौजूद दर्शकों ने तालियां बजा कर उनका उत्साह बढ़ाया. हिंदुस्तानी सभ्यता और संस्कृति को सीखने-जानने का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा जिसे लेकर स्थानीय लोगों ने भी खूब जोश दिखाया.

ये विदेशी केवल सात दिन में हिंदुस्तानी सभ्यता और संस्कृति में रच बस गए, उन्होंने ब्रज के ही लोगों से रीति रिवाज, रासलीला और होली की जानकारी ली और फिर खुद भी लट्ठमार होली व फूलों की होली खेलने में जुट गए. दरअसल ये लोग अमेरिका के न्यू टाउन शहर से भारतीय संस्कृति को समझने के लिए ही आए हैं. भारत में रहने के दौरान वे सभी भारतीय संस्कृति और सभ्यता से बहुत प्रभावित नजर आए. इन लोगों ने सात दिनों में ही वृन्दावन के वात्सल्य ग्राम में भारतीय संस्कृति को समझ कर बिना किसी झिझक के राधा कृष्ण की लीलाओं को भी जीवंत किया. 

अपनी कला से सबको रिझाने वाले विदेशी कृष्ण व राधा ने अपनी भावनाएं जाहिर करते हुए कहा, कि हम लोग यहां भारतीय संस्कृति व सभ्यता जानने आये थे. यहां आने के बाद जीवन जीने में एक अलग ही आंनद आ रहा है. हमे यहां की होली खेलकर बहुत अच्छा लगा. उन लोगों से वात्सल्य ग्राम के बच्चे भी प्रभावित हुए और उन्होंने भी विदेशियों से बहुत कुछ सीखा.  

भारतीय संस्कृति में विदेशियों को रंगते देख साध्वी ऋतंभरा ने कही ये बात..
साध्वी ऋतंभरा ने कहा, ''यह दो संस्कृति और सभ्यताओं का मिलन है''. उन्होंने कहा, "हमारी संस्कृति और हमारा ज्ञान सबसे खूबसूरत चीज है और पश्चिम के लोगों का भारत के प्रति भारी आकर्षण है". साथ ही साध्वी ने कहा, "हमारी अतिथि देवो भव की जो संस्कृति है,वह निश्चित रूप से सबके दिलों को छूती है. मुझे लगता है कि सारी दुनिया एक परिवार बने और एक दूसरे की हो जाए. हम दूसरों के आंसू पोछने में सार्थक हों और यही संदेश आज के कार्यक्रम से मैं सारी दुनिया को देना चाहती हूं."

 

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