Champat Rai: कौन हैं चंपत राय? केमिस्ट्री प्रोफेसर ने जेल में काटे 18 महीने, कैसे राम जन्मभूमि आंदोलन में कूदे
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Champat Rai: कौन हैं चंपत राय? केमिस्ट्री प्रोफेसर ने जेल में काटे 18 महीने, कैसे राम जन्मभूमि आंदोलन में कूदे

Ayodhya Ram Mandir: आज जिस तरह श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में बना भव्य रामलला का मंदिर जिस तरह चर्चा में है. ठीक उसी तरह रामलला के पटवारी यानी चंपत राय भी सुर्खियों में बने हुए हैं. आइए डालते हैं इनके जीवन पर एक नजर..

Champat Rai: कौन हैं चंपत राय? केमिस्ट्री प्रोफेसर ने जेल में काटे 18 महीने, कैसे राम जन्मभूमि आंदोलन में कूदे

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार है. 22 जनवरी को रामलला अपने मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. राममंदिर बनने के सफर में कई लोगों का नाम हमेशा याद किया जाएगा .लेकिन इनमें एक नाम ऐसा है जिसने अपने जीवन को अब राम मंदिर के लिए ही न्यौछावर कर दिया. ये नाम है VHP के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष और  राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का. राम मंदिर के निर्माण में चंपत राय का बड़ा किरदार है. समय-समय पर चंपत राय अयोध्या राम मंदिर और 22 जनवरी 2024 को होने वाली प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से जुड़ी हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं और जानकारियां साझा कर रहे हैं. आइए जानते हैं उनके जीवन पर एक नजर.

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कौन हैं चंपत राय 
चंपत राय का जन्म बिजनौर की नगीना तहसील में 18 नवंबर को 1946 में हुआ था.  उनके पिता  का नाम रामेश्वर प्रसाद बंसल और मां का नाम सावित्री देवी था. ये 10 भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर हैं. वे बहुत कम उम्र में ही ये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए और संघ के विचारों का खूब प्रचार-प्रसार किया. उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद ये डिग्री कॉलेज में केमिस्ट्री के प्रोफेसर की नौकरी करने लगे. चंपत राय ने शादी नहीं की और अपने घर भी कभी-कभार ही जाते हैं.

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केमिस्ट्री के प्रोफेसर थे चंपत राय
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान से जुड़ी हर गतिविधि पर नजर रखने वाले चंपत राय विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राम मंदिर निर्माण करवाने वाले राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव हैं.  पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, फिर विहिप का काम देख रहे और अब राम मंदिर के निर्माण में तल्लीन चंपत राय को रामलला का पटवारी भी कहा जाता है.बता दें कि चंपत राय पहले केमिस्ट्री के प्रोफेसर थे.

राम जन्मभूमि आंदोलन को लेकर गिरफ्तारी
बात उस समय की है, जब देश में इमरजेंसी लगी थी.  बिजनौर के धामपुर में आएसएम डिग्री कॉलेज में वह केमिस्ट्री पढ़ाते थे. उस समय भी राम मंदिर आंदोलन और आरएसएस के लिए काम करते थे. चंपत राय मुखर रहते थे और उस समय कॉलेज में ही पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पहुंच गई थी. प्रिंसिपल के कमरे में उन्हें बुलाया गया तो वह बोले- ‘मैं अभी क्लास ले रहा हूं, क्लास खत्म होने के बाद खुद घर से कपड़े लेकर पहुंचूंगा' अपनी क्लास खत्म होते ही उन्होंने वादा निभाया और फिर उनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.  चंपत राय करीब 18 महीने तक यूपी की अलग-अलग जेलों में रहे. जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने नौकरी से भी इस्तीफा दे दिया और विश्व हिंदू परिषद का हिस्सा बन गए.

संघ में मिली कई जिम्मेदारियां
 इमरजेंसी के दौरान जेल से बाहर आने के बाद चंपत राय, रज्जू भैया के कहने पर आरएसएस में सक्रिय हो गए. कुछ समय के बाद वह पूर्णकालिक प्रचारक के तौर पर काम करने लगे. जन्मे चंपत राय को आरएसएस की ओर से देहरादून और फिर सहारनपुर में प्रचारक का जिम्मा दिया गया. साल 1985 में उन्हें मेरठ विभाग का प्रचारक नियुक्त किया गया. फिर 1986 में उन्हें विहिप में प्रांत संगठन मंत्री की जिम्मेदारी देकर भेजा गया. इस समय चंपत राय विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.

राममंदिर आंदोलन को धार
चंपत राय 1991 में क्षेत्रीय संगठन मंत्री के तौर पर अयोध्या आ गए. ये वो दौर था जब राम मंदिर आंदोलन काफी तेज था. चंपत राय ने उस वक्त वहां रहकर राम मंदिर आंदोलन को धार दी.  1996 में विहिप ने उन्हें संगठन का केंद्रीय मंत्री बनाया. साल 2002 में संयुक्त महामंत्री और फिर अंतरराष्ट्रीय महामंत्री के रूप में भी उन्हें प्रमोट किया गया. 2020 में जब राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ, तब उन्हें मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी दी गई और तभी से वह मंदिर निर्माण की निगरानी कर रहे हैं. 

उनकी भूमिका राम जन्मभूमि के पक्ष में महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाने और उसे सुप्रीम कोर्ट में रखने में महत्वपूर्ण मानी जाती है. चंपत राय सर्वोच्च न्यायालय में चली सुनवाई में भी मुख्य पैरोकार और पक्षकार रहे. अयोध्या के हर आयोजन में उनकी मुख्य भूमिका है.  राम मंदिर भूमि पूजन समारोह का आयोजन भी चंपत राय ने ही किया था.  रामजन्मभूमि अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण के लिए चंपत राय की अहम भूमिका को देखते हुए लोग इन्हें प्यार से रामलला का पटवारी कहते हैं.

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