Ramlalla Murti: अयोध्या में बनेगी भगवान राम की गगनचुंबी प्रतिमा, केवड़िया में सरदार पटेल की मूर्ति से भी ऊंची
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Ramlalla Murti: अयोध्या में बनेगी भगवान राम की गगनचुंबी प्रतिमा, केवड़िया में सरदार पटेल की मूर्ति से भी ऊंची

World Tallest Statue of bhagwan Ram: भव्य राम मंदिर में राममला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है.  इस समय भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के इंतजार में पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं. सब जानना चाहते हैं कि राम जन्मभूमि पर भगवान रामलला का कौन सा स्वरूप स्थापित किया जाएगा.

 

Ayodhya Ram mandir pran pratishtha

Ayodhya Ram mandir pran pratishthaप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की मौजूदगी में 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर में राममला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इस समय भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के इंतजार में पूरी दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं. सब जानना चाहते हैं कि राम जन्मभूमि पर भगवान रामलला का कौन सा स्वरूप स्थापित किया जाएगा. तीन मूर्तिकारों ने अपनी-अपनी कला का प्रदर्शन किया है. इनमें से किसी एक मूर्ति को मंदिर ट्रस्ट फाइनल करेगा. वैसे केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर कहा था कि कर्नाटक के मैसूरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज की मूर्ति फाइनल की गई है. हालांकि अभी मंदिर ट्रस्ट की तरफ से इस बात का ऐलान होना बाकी है. ऐसी खबरें हैं कि भगवान राम की नगरी अयोध्या विश्व रिकॉर्ड भी बना सकती है.

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बनेगी 823 फीट ऊंची मूर्ति
दिल्ली  से सटे हरियाणा के मूर्तिकार नरेश कुमावत को भगवान राम की 823 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने के लिए कहा गया है. इस प्रतिमा को अयोध्या में सरयू नदी के तट पर स्थापित किया जा  अगर ऐसा होगा तो भगवान रामलला का यह स्वरूप दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का कीर्तिमान स्थापित करेगा. बता दें कि इस मूर्ति का वजन 13000 टन होगा, जो दुनिया का सबसे भारी प्रतिमा वाला ढ़ांचा भी हो सकता है.

पहली स्वदेशी प्रतिमा होगी
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा का रिकॉर्ड 790 फीट है, जो गुजरात के केवड़िया में बनी सरदार पटेल की प्रतिमा है. इसे दुनिया अब स्टैचू ऑफ यूनिटी के नाम से जानती है. हालांकि इस प्रतिमा का 70 से 80 फीसदी काम चीन में किया गया था. मूर्तिकार नरेश कुमावत का दावा है कि अगर उन्हें बजट की फाइनल मंजूरी मिल जाती है तो भगवान राम की प्रतिमा पहली पूरी तरह अपने देश में ही बनी प्रतिमा होगी जो इतनी ऊंची बनाई जाएगी. वहीं दुनिया का चौथा सबसे बड़ा स्टेचू होने का रिकॉर्ड राजस्थान के नाथद्वारा में लगी हुई भगवान शिव की प्रतिमा है. आपको बता दें कि यह भी नरेश कुमावत की कला का ही है.

होंगे इतने करोड़ खर्च
इस मूर्ति को बनाने के लिए करीब 3000 करोड़ का खर्च आ सकता है. यूपी के सीएम योगी से मूर्तिकार नरेश कुमावत को इस प्रतिमा के प्रोटोटाइप का अप्रूवल मिल चुका है. हालांकि यह तमाम बातचीत अभी कागजों पर  नहीं उतरी है. यह मूर्ति पंच धातु से बनाई जानी है, जिसमें 80 फीसदी तांबे का इस्तेमाल किया जाएगा. 

कई प्रतिमाएं बना चुके हैं नरेश कुमावत
अयोध्या में नमो घाट पर लगी हुई हाथों की प्रतिमा नरेश कुमावत की ही बनाई हुई है. भारत की सुप्रीम कोर्ट में लगी बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति भी इन्होंने ही बनाई है. भारत की नई संसद में लगी सरदार पटेल की मूर्ति, संसद के अंदर समुद्र मंथन का धातु से तैयार किया गया दृश्य, नोएडा में भगवान शिव की प्रतिमा भी आर्टिस्ट नरेश कुमावत की ही बनाई हुई कलाकृतियां हैं.

अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं
मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है. इस मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी. ये मंदिर तीन मंजिला रहेगा. प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी. मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे. मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा. मंदिर में 5 मंडप होंगे. खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं. मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा. दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी. 

मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा.  चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी. परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा. उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा.मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा. मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे. दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है.

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मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा. धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है. मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है.  इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है. मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है. मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे. 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी. मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी.मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा.

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