अखलेश के फूलों की जनपद ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों जिसमें मुरादाबाद, मेरठ और दिल्ली तक बहुत डिमांड है.
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राजवीर चौधरी/बिजनौर: पहले नौकरी फिर गन्ने की खेती और अब फूलों का बड़ा कारोबार कर रहा है बिजनौर जिले का एक किसान का बेटा. जनपद ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलों में बिजनौर के फूलों की खुशबू फैला रहे हैं अखलेश. अखलेश ने सरकार की मदद से पांली हाउस लगाकर आज लाखों रुपये कमा रहे हैं. कई प्रजातियों के महंगे फूलों की डिमांड दिल्ली तक है.
अखलेश चौधरी मल्टीनेशनल कंपनी में बड़े पैकेज की नौकरी करते थे. लेकिन,नौकरी छोड़कर अखलेश अपने गांव बलिदिया आ गए और गन्ने की खेती करने लगे. गन्ने की खेती में लागत लगाकर भी साल साल भर तक पेमेंट नहीं मिलने के कारण अखलेश ने गन्ने की खेती से तौबा कर ली.
इन फूलों की कर रहे हैं खेती
इसके बाद फूलों के कारोबार को करने का अपना मकसद बना लिया. फिर क्या था अखलेश ने अपने गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर गांव अगरी में चार एकड़ यानी 20 बीघा जमीन पांली हाउस लगाकर अलग अलग प्रजाति जिनमें जरबेरा, कारनेशन, जिप्सोफिला, डेजी, लिलियम, ग्लोडॉस को बड़े पैमाने पर उगाया. इन फूलों में सबसे महंगा लिलियम है.
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20 से 25 लाख की कर रहे हैं बचत
अखलेश के फूलों की जनपद ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों जिसमें मुरादाबाद, मेरठ और दिल्ली तक बहुत डिमांड है. अखलेश बताते है कि गन्ने की अपेक्षा फूलों की खेती में 10 से 15 फीसदी अधिक लाभ है. अखलेश ने लगभग 58 लाख रुपये की लागत से पांली हाउस लगाया था और जिसमें योगी सरकार ने बागवानी मिशन योजना के तहत 24 लाख की सब्सिडी दी है. अखलेश को देखकर अब जिले में कई किसान गन्ने की फसल से तौबा कर फूलों की खेती करने लगे हैं. अखलेश सालाना 20 से 25 लाख रुपये की बचत कर रहे हैं.
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