कोरोना वॉरियर मोहन पाठक गर्व से कहते हैं, ''जब तक जान है, जहान के लिए अपने फर्ज से पीछे नहीं हटेंगे.''
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संभल: संकट काल में अपना अहम योगदान दे रहे सभी कोरोना वॉरियर्स को पूरा देश सलाम कर रहा है. ऐसे में संभल जनपद के सयुंक्त चिकित्सालय में फार्मासिस्ट के पद पर तैनात मोहन पाठक सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं. मुंह के कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मोहन पाठक अपनी पीड़ा भूलकर इलाज के लिए आ रहे मरीजों का दर्द दूर करने के लिए 23 मार्च से लगातार अपना फर्ज निभा रहे हैं.
खास बात ये है कि कैंसर पीड़ित मोहन पाठक की पत्नी हेमा पाठक भी संयुक्त चिकित्सालय में फार्मासिस्ट हैं, जो अपने पति का हौसला बन कंधे से कंधा मिलाकर कोरोना से जंग में उनका साथ दे रही हैं.
मोहन पाठक पिछले 5 सालों से मुंह के कैंसर से पीड़ित हैं. कैंसर के इलाज के लिए अब तक मोहन पाठक के 5 ऑपरेशन हो चुके हैं. ऑपरेशन में उनका जबड़ा निकाला जा चुका है, जिस वजह से मोहन पाठक पिछले कई सालों से सिर्फ तरल पदार्थ ही ले रहे हैं. मोहन पाठक किसी प्रकार का ठोस खाद्य पदार्थ नहीं खा सकते. इन तमाम कठनाइयों के बावजूद मोहन पाठक अपने फर्ज को जिंदादिली से निभा रहे हैं. कोरोना वॉरियर मोहन पाठक गर्व से कहते हैं, ''जब तक जान है, जहान के लिए अपने फर्ज से पीछे नहीं हटेंगे.''
कोरोना काल में पत्नी के साथ-साथ फार्मासिस्ट होने की जिम्मेदारियां निभा रही हेमा पाठक कहती हैं कि उन्हें अपने पति मोहन पाठक पर गर्व है, जो अपनी बीमारी को भूलकर अपना फर्ज निभाकर कोरोना से जंग में अपना योगदान दे रहे हैं. हेमा बताती हैं कि कोरोना खतरे में खुद को भी सुरक्षित रखना बड़ी जिम्मेदारी है. ऐसे में वो मोहन पाठक के खाने-पीने से लेकर दवाइयों का पूरा ध्यान रखती हैं.