CJI DY Chandrachud: CJI डीवाई चंद्रचूड़ चुनावी बॉन्ड योजना, निजता, समलैंगिकता के अपराधीकरण, सबरीमाला, समलैंगिक विवाह और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने जैसे महत्वपूर्ण फैसले सुनाने के लिए भी जाने जाते हैं.
Trending Photos
CJI DY Chandrachud: CJI डीवीई चंद्रचूड़ आज रिटायर हो गए. उन्होंने नवंबर 2022 में सीजेआई का पद संभाला था. लगभग दो साल के कार्यकाल के बाद वे रिटायर हो रहे हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ का उत्तर प्रदेश से संबंध रहा है वे 2013 से 2016 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं. वे उस पीठ का सदस्य थे जिसने कि राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाया था. भारत के 50वें और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ को मई 2016 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. वे 2000 से 2013 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में भी कार्य कर चुके हैं. डीवाई चंद्रचूड़ के पिता वाई. वी. चंद्रचूड़ भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्य न्यायाधीश थे. डीवाई चंद्रचूड़ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय में वकील के रूप में प्रैक्टिस की शुरुआत की थी. आइए आपको जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के दिए कुछ ऐतिहासिक फैसलों के बारे में बताते हैं:
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश : सीजेआई चंद्रचूड़ उस बेंच का हिस्सा थे जिसने कि अयोध्या विवाद पर अपना फैसला सुनाया था. अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विवादित भूमि (2.77 एकड़) को राम जन्मभूमि मंदिर बनाने के लिए एक ट्रस्ट को सौंपा जाए. अदालत ने सरकार को उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को ध्वस्त बाबरी मस्जिद के स्थान पर मस्जिद बनाने के उद्देश्य से दूसरी जगह 5 एकड़ वैकल्पिक भूमि देने का भी आदेश दिया था.
नोएडा ट्विन टावर को गिराने का आदेश: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की सदस्यता वाली पीठ ने 31 अगस्त, 2021 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था. कोर्ट ने कहा कि टावरों के निर्माण ने भारत के राष्ट्रीय भवन संहिता, 2005 का उल्लंघन किया. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी घर खरीदारों को 12% ब्याज दर के साथ पैसा वापस किया जाए. कोर्ट ने एमराल्ड कोर्ट आरडब्ल्यूए को 2 करोड़ रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक दर्जा: सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने 4:3 बहुमत से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पर 1967 के एक अहम फैसले को पलट दिया था. जिसमें अल्पसंख्यक का दर्जा हटा दिया गया था. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने यह फैसला सुनाया था.
यूपी मदरसा एक्ट: उत्तर प्रदेश के 16,000 से ज़्यादा मदरसों को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के उस कानून की वैधता को बरकरार रखा था जो मदरसे के कामकाज को नियंत्रित करती है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फ़ैसले को खारिज कर दिया था जिसमें मदरसा एक्ट को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला बताया गया था. इससे मदरसा के लगभग 17 लाख छात्रों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया था. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था कि सिर्फ इसलिए कि मदरसों के लिए कानून में कुछ धार्मिक प्रशिक्षण शामिल है, यह असंवैधानिक नहीं है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि अधिनियम का उद्देश्य उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना है.
शिक्षामित्रों की नियुक्ति की थी रद्द: आपको बता दें कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रहते उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में तैनात एक लाख 75 हजार शिक्षामित्र टीचरों का अप्वाइंटमेंट रद्द कर दिया था. दरअसल अदालत ने इस भर्ती को अवैध माना था. कोर्ट ने कहा था, ''चूंकि ये टीईटी पास नहीं हैं, इसलिए असिस्टेंट टीचर के पदों पर इनकी नियुक्ति नहीं की जा सकती.''
UPPSC चेयरमैन अपॉइंटमेंट को बताया था अवैध: तत्कालीन हाईकोर्ट चीफ जस्टिस डॉ. चंद्रचूड़ ने उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन अनिल यादव, सेक्रेटरी रिजवालुर्रहमान के अपॉइंटमेंट को अवैध बताया था. हायर एजुकेशन सर्विस सलेक्शन कमीशन के चेयरमैन लाल बिहारी पांडे, हायर एजुकेशन सर्विस सलेक्शन कमीशन के मेंबर रामवीर सिंह यादव, डॉ. रूदल यादव, अनिल कुमार सिंह और इंटमीडिएट एजुकेशन सर्विस सलेक्शन कमीशन के चेयरमैन सुनील कुमार, मेंबर अनीता यादव, आशा लता सिंह, ललित कुमार की कुर्सी भी चीफ जस्टिस के फैसलों की वजह से ही गई थी.
आपको बता दें कि डीवाई चंद्रचूड़ चुनावी बॉन्ड योजना, निजता, समलैंगिकता के अपराधीकरण, सबरीमाला, समलैंगिक विवाह और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने जैसे महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाली बेंचों का हिस्सा रहे हैं.