चमोली आपदा के बाद राहत और बचाव जारी है. आज प्रशासन का जोर राहत-बचाव कार्यों पर है. तपोवन की दूसरी सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकालने की कोशिशें हो रही हैं. आपदा के बाद से 202 लोग लापता हैं और कुल 18 शव बरामद हुए हैं.
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देहरादून: चमोली आपदा के बाद राहत और बचाव जारी है. आज प्रशासन का जोर राहत-बचाव कार्यों पर है. तपोवन की दूसरी सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकालने की कोशिशें हो रही हैं. आपदा के बाद से 202 लोग लापता हैं और कुल 18 शव बरामद हुए हैं. तपोवन की टनल में करीब 100 मीटर तक टीमें पहुंच गई हैं, लेकिन दलदल होने के कारण मिशन में देरी हो रही है. सोमवार को केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने भी घटना स्थल का दौरा किया. वहीं इस बीच उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा है कि आपदा की इस घड़ी में प्रॉपगैंडा न चलाएं.
सीएम रावत ने ट्वीट कर चमोली जाने और वहीं रात्रि विश्राम की जानकारी दी है. सीएम ने लिखा, ''मैं देहरादून से प्रभावित क्षेत्रों में जा रहा हूं और रात्रि प्रवास करूंगा. राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चल रहे हैं और सरकार इसमें कोई भी कसर नहीं छोड़ रही है. केंद्र की हमें पूरे मदद मिल रही है. मेरा आप सभी से अनुरोध है कि इस हादसे को विकास के ख़िलाफ़ प्रॉपगैंडा का कारण ना बनाएं.''
I am leaving for disaster site and will spend night in the region itself. Our relief & rescue operations is continuing in full swing & we are getting help from all quarters. I request everyone to not use this natural disaster as a reason to build anti development narrative. https://t.co/rOkDBh0gxy
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) February 8, 2021
UN भी मदद को तैयार
आजतक डॉट इन के हवाले से खबर है कि चमोली आपदा में उत्तराखंड सरकार की मदद को लेकर संयुक्त राष्ट्र (UN) भी आगे आया है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि है UN आपदा की इस घड़ी में भारत को हर तरह की मदद को तैयार है. एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि अगर भारत को रेस्क्यू ऑपरेशन में किसी तरह की सहायता की जरूरत है तो हम अपने संसाधनों के साथ भारत को मदद करने के लिए तैयार हैं.
ग्लेशियर टूटने से नहीं आई आपदा
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को आपदाग्रस्त क्षेत्र में चल रहे राहत और बचाव कार्यों के संबंध में सचिवालय में अहम बैठक ली. इस बैठक में इसरो के साइंटिस्ट और आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारी भी मौजूद थे. सीएम ने बताया कि ISRO निदेशक के मुताबिक 2-3 दिनों पहले वहां बर्फ पड़ी थी. एक ट्रिगर पॉइंट से स्लाइड होने के कारण लाखों मिट्रिक टन बर्फ एक साथ वहां से स्लाइड हुई. जिसके कारण यह आपदा आई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोई अवलॉन्च प्रोन एरिया नहीं है. सीएम ने आगे कहा कि इसरो ने जो इमेज दिखाएं है वहां किसी तरह का कोई ग्लेशियर नजर नहीं आ रहा.
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