परिवार को राजनीति में एडजस्ट न कर पाने पर झलका कांग्रेस नेता हरीश रावत का दर्द
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परिवार को राजनीति में एडजस्ट न कर पाने पर झलका कांग्रेस नेता हरीश रावत का दर्द

हरीश रावत ने बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए लिखा है कि यदि आप 70 वर्ष की लक्ष्मण रेखा को पार कर चुके हैं तो, इस रेखा से आगे बढ़कर सक्रिय राजनीति में रहना सामान्य निर्णय नहीं है. 

रावत ने लिखा कि लोकसभा के चुनाव में हम चूक गये. मुझे स्वयं अपने स्थान में अपने पुत्र को प्रस्तावित करना चाहिये था.

मनमोहन भट्ट/देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का दर्द एक बार फिर छलका है. उत्तराखंड कांग्रेस में अपने को अलग-थलग महसूस कर रहे हरीश रावत ने संगठन में युवाओं के साथ अपने ख़ास लोगों को एडजस्ट करने के लिए एक तरह से सुझाव दिए हैं. हरीश रावत ने राजनीति में अपने परिवार को एडजस्ट न करने को लेकर भी कसक जाहिर की. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी भड़ास निकाली है. पिछले दिनों हरीष रावत ने उत्तराखंड में स्वास्थ्य कारणों से अपने सभी कार्यक्रम रद्द करने की घोषणा की थी. लेकिन इसके बाद वो असम दौरे पर दिखाई दिए. इसके बाद ये कयास लगाए गए कि रावत को दिल्ली ने उत्तराखंड से दूर रहने के लिए कहा है.

असम में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कांग्रेस के प्रदर्शन में हरीश रावत, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और शीर्ष नेता राहुल गांधी के साथ नज़र आये थे. लेकिन, इसके बाद रावत की सोशल मीडिया में जारी की गई चिट्ठी के कई मायने निकाले जा रहे हैं. हरीश रावत अब ये जान चुके हैं कि बढ़ती उम्र में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिल पाना मुश्किल है. 

खुद हरीश रावत लिखते हैं कि राज्य में 50 वर्ष से नीचे का हिस्सा 80 प्रतिशत उत्तरदायित्व को संभाले, इसे सुनिश्चित करने में मुझे अपना योगदान देना चाहिये. वर्ष 2002 और 2017 में यह मौका मेरे हाथ में आया. मुझे खुशी है, मैंने दोनों बार खतरा उठाकर भी युवाओं को मौका दिया. आज पार्टी का अग्रणीय दस्ता ऐसे ही युवाओं का है. इनमें से अधिकांश युवा पर्याप्त सम्भावनाओं युक्त है और राज्य के युवा व चुनौतीपूर्ण स्वरूप के अनुरूप हैं. इन सबके बीच राजनीतिक पंडितों की मानना हैं कि हरीश रावत ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की तरफ इशारा किया है.  

हरीश रावत ने बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए लिखा है कि यदि आप 70 वर्ष की लक्ष्मण रेखा को पार कर चुके हैं तो, इस रेखा से आगे बढ़कर सक्रिय राजनीति में रहना सामान्य निर्णय नहीं है. व्यक्ति को अपनी शाररिक क्षमता व पारिवारिक स्थिति दोनों का आंकलन करना होता है. सक्रिय राजनीति वह भी प्रतिस्पर्धात्मक राजनीति में बने रहना, बढ़ती उम्र के साथ अत्यधिक कठिन कार्य है. उम्र के साथ आपका दायरा व आपसे अपेक्षाएं दोनों बढ़ती जाती हैं. चुनावी राजनीति में आपकी वरिष्ठता आप से अपेक्षाएं बढ़ाती जाती है. उम्र के साथ आपकी काम के पीछे पड़ने की क्षमता कम होती जाती है. आप अधिक भाग-दौड़ नहीं कर पाते हैं.

पहले विधानसभा चुनाव में 2 सीटों से हार और फिर लोकसभा चुनाव में हार को हरीश रावत ने बड़ी चूक माना. रावत ने लिखा कि लोकसभा के चुनाव में हम चूक गये. मुझे स्वयं अपने स्थान में अपने पुत्र को प्रस्तावित करना चाहिये था. पौड़ी में पार्टी साहस कर पायी, चुनाव भले ही हार गये, मगर अगले 20 वर्षों की सम्भावना खड़ी हो गई है. राष्ट्रीय स्तर पर भी हमें लगातार युवा नेतृत्व पर भरोसा बनाये रखना चाहिये.

उत्तराखंड में हाल ही में प्रदेश कार्यकारिणी को भंग किया गया है. अब प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह नए साल में नई कार्यकारिणी का गठन करना है. कांग्रेस के भीतर एक गुट का मानना है कि हरीश रावत की वर्तमान चिट्ठी का मकसद अपने नज़दीकी लोगों को प्रदेश कार्यकारिणी में एडजस्ट करवाने के लिए पार्टी पर दबाव डालना है. अब देखना ये है कि पार्टी इसे कैसे देखती है.

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