पेटलावद ब्लास्ट को हुए 5 साल, अभी भी मुआवजे को तरस रहे लोग
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पेटलावद ब्लास्ट को हुए 5 साल, अभी भी मुआवजे को तरस रहे लोग

आज भी कई ऐसे पीड़ित परिवार हैं जो उस हादसे को भुला नहीं पाए हैं और सरकारी सिस्टम की अनदेखी उनके जख्मों को और गहरा कर देती है.लेकिन, प्रशासन के पास इस अनदेखी का कोई भी जवाब नहीं है.  

पेटलावद ब्लास्ट को हुए 5 साल, अभी भी मुआवजे को तरस रहे लोग

झाबुआ: 12 सितंबर 2015 को मध्यप्रदेश के इतिहास की सबसे दर्दनाक और दिल दहला देने वाले पेटलावद ब्लास्ट की पांचवी बरसी है. इस हादसे में 78 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी और 100 लोगों से अधिक लोग घायल हो गए थे. अवैध तरीके से रखी गई जिलेटिन रॉड में ब्लास्ट होने से यह दर्दनाक हादसा हुआ था. इस हादसे के पीड़ितों की सिसकियां तो थम चुकी हैं, लेकिन सरकारी वादे पूरे न होने की पीड़ा अभी भी लोगों के दिलों में मौजूद है. बता दें कि पेटलावद के लोग 12 सितंबर की तारीख को काला दिवस मानते हैं.

कैसे हुआ था हादसा
पेटलावद ब्लास्ट का मुख्य आरोपी राजेंद्र कांसवा था, जिसकी ब्लास्ट में ही मौत हो गई थी. दरअसल, राजेंद्र कासवा नामक व्यापारी ने गोदाम में अवैध तरीके से जिलेटिन की रॉड रखी थी. उसी जिलेटिन की रॉड में ब्लास्ट हुआ था. जिससे हादसे में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई. हालांकि, पांच साल बाद भी इस मामले में कोई खुलासा नहीं हुआ है. अभी भी इस मामले की जांच जारी है. इस मामले में कई आरोप भी लगे. आखिर खाद के गोदाम में जिलेटिन की रॉड कैसे पहुंचीं? दरअसल, राजेंद्र कांसवा के पास खाद भंडारण का लाइसेंस था जहां खाद बेचने के साथ उसका भंडारण भी होता था. इस मामले पर कई बिंदुओं पर अलग-अलग जांच चलती रहीं. जांच आयोग के निष्कर्ष के आधार पर अभी भी यह जांच कृषि विभाग चल रही है.

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सरकार के सच्चे-झूठे वादे
पेटलावद ब्लास्ट के पीड़ितों के लिये तत्कालीन सरकार ने कई वादे किये थे.जिसमें से कुछ वादे तो पूरे हुए पर कुछ अधूरे ही रह गए. आज भी कई ऐसे पीड़ित परिवार हैं जो उस हादसे को भुला नहीं पाए हैं और सरकारी सिस्टम की अनदेखी उनके जख्मों को और गहरा कर देती है.लेकिन, प्रशासन के पास इस अनदेखी का कोई भी जवाब नहीं है. मृतकों के परिजनों को सरकार ने मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक आज तक किसी को मुआवजा नहीं मिला है.

घटनास्थल पर लौटी रौनक
नया बस स्टैंड पर श्रद्धांजलि चौक आज भी वैसा ही है लोग आज भी यहां आकर मृतकों को श्रद्धांजलि देते हैं. ब्लास्ट वाली जगह पर भी पहले से अधिक चहल-पहल दिखाई दी. धीरे -धीरे यहां डर का माहौल खत्म हो रहा है. जहां पहले लोग यहां आने से डरते थे वहां लोग बैखौफ होकर टहलते नजर आ जाते हैं. घटनास्थल में तीन सालों में कई बदलाव आ चुके हैं.

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