बाजार में सामान्य चावल की कीमत 25 से 150 रुपए प्रति किलो तक होती है, जबकि ब्लैक राइस का भाव 250 रुपये प्रति किलो से शुरू होता है. यदि इसका जैविक तरीके से उत्पादन किया जाए तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह 600 रुपए प्रति किलो तक आसानी से बिक जाता है.
Trending Photos
हल्द्वानी: मणिपुर (Manipur) और असम (Assam) में उत्पादित होने वाला काला धान अब उत्तराखंड (Uttarakhand) में भी पैदा हो सकेगा. राज्य के काश्तकार नरेंद्र सिंह मेहरा को हल्द्वानी (Haldwani) गौलापार में काला धान (Black Paddy) उगाने में सफलता मिली है. औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण काले चावल की बाजार में भी खूब मांग है.
आमतौर पर बाजार में सामान्य चावल की कीमत 25 से 150 रुपए प्रति किलो तक होती है, जबकि ब्लैक राइस का भाव 250 रुपये प्रति किलो से शुरू होता है. यदि इसका जैविक तरीके से उत्पादन किया जाए तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह 600 रुपए प्रति किलो तक आसानी से बिक जाता है. किसान नरेंद्र मेहरा ने छत्तीसगढ़ से 150 ग्राम बीज मंगाकर पहली बार उत्तराखंड में इसकी खेती करने का निश्चय किया.
उन्होंने बताया कि आज बाजार में जैविक विधि से तैयार ब्लैक राइस की कीमत छह सौ रुपये प्रति किलो है जबकि इसके बीज की कीमत 1500 से 1800 रुपये प्रति किलो है. किसान नरेंद्र मेहरा का दावा है कि ब्लैक राइस का प्रति एकड़ 18 से 20 क्विंटल तक उत्पादन किया जा सकता है. इसकी फसल भी केवल 135 से 1490 दिन में पककर तैयार हो जाती है और सिंचाई के लिए भी ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है, काले चावल में कार्बोहाईड्रेड की मात्रा कम होने के कारण यह शूगर के रोगियों के लिए भी लाभकारी होता है. हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, हाईकॉलेस्ट्राल, आर्थराइटिस और एलर्जी में भी ब्लैक राइस लाभकारी है.
उत्तराखण्ड राज्य में पहली बार गौलापार में काला धान उगाने में प्रगतिशील काश्तकार नरेंद्र मेहरा को सफलता मिली है. कृषि अधिकारियों के मुताबिक, वैज्ञानिकों से ब्लैक राइस के औषधीय गुणों की जांच कराई जाएगी. यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो काश्तकारों को ब्लैक राइस उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाएगा. इसके लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी.
किसानों के मुताबिक, प्रदेश सरकार काले चावल के उत्पादन को बढ़ावा दे और उत्पादन के लिए किसानों को जागरुक करें, जिससे किसानों की आय में खासा वृद्धि होगी. उन्होंने सरकार से मांग की है कि प्रदेश सरकार उत्तराखंड के किसानों को काला चावल का बीज उपलब्ध कराए, जिससे किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकें.