आज भी दिल्ली से लगे उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जाने वाले राजमार्गों पर किसान धरना देकर बैठे हैं. पिछले कई दिनों से सारे रास्ते बंद हो चुके हैं. किसानों की इस हड़ताल से ट्रांसपोर्टरों की जान पर बन आई है.
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कानपुर: 'आसमान से गिरे खजूर पर अटके', पिछले आठ माह से कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन की मार झेल रहे ट्रांसपोर्टर जैसे तैसे अपने धंधे को संभालते कि किसानों की हड़ताल की वजह से नई आफत उनके गले पड़ गई है.
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आंदोलन की वजह से जनजीवन ठप होने की कगार पर
किसान आंदोलन के चलते ट्रकों के पहिया थमने से रोजमर्रा की जरूरत की चीजें समय पर नहीं पहुंच पा रही हैं. इसके कारण जनजीवन प्रभावित होने लगा है. पिछले कई दिनों से किसान अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. केवल हड़ताल ही नहीं, किसानों ने दिल्ली में आने-जाने के रास्तों को रोक कर रखा हुआ है. उत्तर प्रदेश-हरियाणा और पंजाब से लगे रास्ते बंद हैं, जिसके चलते सबसे बुरा असर ट्रांसपोर्टर्स पर पड़ रहा है. किसानों की इस हड़ताल से ट्रांसपोर्टर हलकान हैं.
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नॉर्थ इंडिया का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट हब मुसीबत में
कानपुर उत्तर भारत का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट हब है. कोलकाता से लेकर पंजाब और हरियाणा तक ट्रकों और बाकी बड़े वाहनों के जरिए सामान पहुंचाने के लिए कानपुर के ट्रांसपोर्टर पर व्यापारियों का भरोसा है. इसके अलावा शहर की लोकेशन की वजह से कानपुर का ट्रांसपोर्ट व्यवसाय उत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट व्यवस्था बन सका है.
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इनकम जीरो और खर्चा तिगुना हो गया है
आज भी दिल्ली से लगे उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जाने वाले राजमार्गों पर किसान धरना देकर बैठे हैं. पिछले कई दिनों से सारे रास्ते बंद हो चुके हैं. किसानों की इस हड़ताल से ट्रांसपोर्टरों की जान पर बन आई है. 500 से ज्यादा ट्रांसपोर्ट गाड़ियां इस हड़ताल का शिकार हो चुकी हैं और जहां-तहां फंसी हुई हैं. इसके अलावा दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जाने वाले ड्राइवर, क्लीनर, आदि कानपुर में रुके पड़े हैं. इससे ट्रांसपोर्टरों पर दोहरी मार पड़ रही है. अपने ड्राइवर और क्लीनरों के अलावा बाकी जगहों के ड्राइवर्स और क्लीनर्स का खर्चा उठाना पड़ रहा है. यही नहीं, गाड़ियों की किश्तें भी बिना इनकम ही बैंकों को समय पर चुकानी पड़ेंगी. गाड़ियां फंसी होने की वजह से ट्रांसपोर्टरों के भुगतान में भी समस्या आने लगी है.
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ऐसे ही चलता रहा तो हालात होंगे बदतर
दोहरी-तिहरी मार झेल रहे ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि अगर दो तीन दिन में कोई हल नहीं निकला तो उनकी स्थिति विस्फोटक हो जाएगी. ट्रांसपोर्टरों के अलावा वेयर हाउसों में सामान न पहुंच पाने से सामान का भी नुकसान और बिजनेस भी ठप होने लगे हैं. कई उद्योग इसके चलते बंद हो जाएंगे.
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