पहाड़ में आग की लपटों में धधक रहे हैं 100 से ज्यादा जंगल, छुट्टियां बना रहे हैं वन विभाग के अफसर
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पहाड़ में आग की लपटों में धधक रहे हैं 100 से ज्यादा जंगल, छुट्टियां बना रहे हैं वन विभाग के अफसर

हर बार की तरह इस बार भी गर्मियां शुरू होते ही जंगलों में आग लगनी शुरू हुई. इस साल देर तक बारिश और बर्फबारी जारी रही. लेकिन जब सूरज की तपिश बढ़ी और पहाड़ों में नमी कम हुई और जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती चली गई. 

आग लगने के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में धुएं का गुबार बना हुआ है.

देहरादून: उत्तराखंड के बेशकीमती जंगल पिछले एक महीने से जल रहे हैं. हिमालय की बेशकीमती सम्पदा को बचाने का कोई प्लान सरकार के पास नहीं है. वन विभाग के मुताबिक, उत्तराखंड में हर रोज जंगलों में आग की 100 घटनाएं हो रही हैं और 50 से 60 हेक्टेयर जंगल रोज जल रहे हैं.  

हर बार की तरह इस बार भी गर्मियां शुरू होते ही जंगलों में आग लगनी शुरू हुई. इस साल देर तक बारिश और बर्फबारी जारी रही. लेकिन जब सूरज की तपिश बढ़ी और पहाड़ों में नमी कम हुई और जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती चली गई. इस साल अभी तक आग की करीब 15 सौ घटनाएं सामने आ चुकी हैं. गढ़वाल में करीब पांच सौ तो कुमाऊं में नौ सौ घटनाओं से भी विभाग ने सबक नहीं लिया. 100 के आस-पास घटनाएं संरक्षित वन क्षेत्र में हुई हैं. आग से उत्तराखंड के चंपावत, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चमोली और रुद्रप्रयाग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.

विभाग के पास इस आग से अब-तक 6 मवेशियों की जान जाने का आंकड़ा ही आया है. इस आग के कारण 30 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जंगल स्वाहा हो चुका है. आग के कारण जंगल के भीतर बेशकीमती सम्पदा भी जलकर स्वाहा हो गई.  

वन विभाग के अधिकारियों का लापरवाही इस कदर है जिस वक्त जंगल में तेजी से आग फैल रही थी, उस समय वन विभाग के प्रमुख जय राज लन्दन की सैर पर गए. इनके अलावा DFO हल्द्वानी नीतीश मणी त्रिपाठी, कुमाऊं मंडल के चीफ कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट विवेक पांडेय और वेस्टर्न सर्किल के कंजरवेटर पराग मधुकर सहित वन विभाग के दर्जन भर अधिकारी विदेश घूम रहे थे. हालांकि, अब ये अधिकारी 15 दिन के दौरे के बाद वापस तो आ गए हैं. लेकिन इस बीच जंगल की बेशकीमती सम्पदा का काफी नुकसान हो चुका है.

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वन विभाग के प्रमुख जयराज के विदेश जाने पर वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने अपनी कड़ी नाराजगी भी व्यक्त करते हुए कहा था. जिस वक्त राज्य के जंगलों में आग लगी है, उस समय उनको बचाने की जिम्मेदारी विभाग के प्रमुख की है और वो विदेश दौरे पर बिना उनकी मंजूरी के गए हैं. चीफ कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट पी के सिंह बताते हैं कि हर रोज पहाड़ में आग लगने की करीब 100 तक घटनाएं हो रही हैं. इन घटनाओं की जानकारी विभाग के पास तुरंत आ जाती है, लेकिन सीमित संसाधन होने के कारण इस आग पर काबू पाना संभव नहीं हो पा रहा है.  

इस आग लगने के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में धुएं का गुबार बना हुआ है. इससे आम आदमी को सांस लेने में परेशानी होती है. धुएं के कारण हेमकुंट साहिब की उड़ान भर चुके एक हेलीकॉप्टर की भी चमोली में इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी.

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