जिले के कुल 67 बच्चों को इस योजना का लाभ मिलेगा.
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फिरोजाबाद: सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार यानी आज से उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का शुभारंभ किया. यह योजना कोरोना से अनाथ बच्चों के पालन-पोषण के लिए है. फिरोजाबाद जिले में भी इस योजना के लिए बच्चे चिह्नित किए गए हैं. प्रथम चरण में 57 अनाथ बच्चों को आर्थिक सहायता और प्रमाण पत्र दिए गए.
67 बच्चों को मिलेगा योजना का लाभ
सीडीओ चर्चित गौड़ ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के शुभारंभ का सीधा प्रसारण विकास भवन सभागार में हुआ. जिले के कुल 67 बच्चों को इस योजना का लाभ मिलेगा. जून में अनुमोदित 57 बच्चों को 4000 रुपये प्रति माह प्रति बच्चे के हिसाब से तीन माह जुलाई, अगस्त व सितंबर का पैसा बच्चो के बैंक खाते में भेज दिये जाएंगे.
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बाकी बचे 10 बच्चों के डॉक्यूमेंट्स पूरे होने पर ये सहायता राशि दी जाएगी. बता दें कि जिले में 4 महीने का एक ऐसा मासूम लाभार्थी भी है, जिसने अपने पिता की मृत्यु के एक महीने बाद जन्म लिया था. आज मुख्यमंत्री द्वारा सहायता दी गई है. मासूम की मां साधना ने इस सहायता के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद अदा किया.
क्या है उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना ?
गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान प्रदेश के कई बच्चों ने अपने मां-बाप को खो दिया था. कई ऐसे बच्चे हैं, जिनके माता-पिता दोनों नहीं हैं, या फिर एक ही हैं, उसमें भी परिवार का भरण-पोषण करने वाला चला गया. उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना ऐसे ही अनाथ हुए बच्चों के लिए है.
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योजना में 18 वर्ष तक बच्चों के पालन-पोषण व पढ़ाई तक की व्यवस्था है. योजना में शामिल होने के लिए परिवार की अधिकतम वार्षिक आय तीन लाख होनी चाहिए. इसके तहत हर बच्चे को प्रति माह चार हजार रुपये मिलेंगे. 11 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों की 12वीं तक की शिक्षा फ्री होगी. वहीं, शादी योग्य बालिकाओं को शादी के एक लाख एक हजार रुपये दिए जाएंगे.
CM ने बताया आंकड़ा
CM बाल सेवा योजना' की शुरुआत के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि प्रदेश में जो आंकड़े सामने आए उनमें मार्च 2020 से अब तक 240 बच्चे ऐसे थे जिन्होंने माता-पिता दोनो को कोरोना के कारण खोया है. 3,810 बच्चों ने माता, पिता या लीगल गार्जियन को खोया है. कुल 4050 बच्चे चिन्हित किए गए. इन बच्चों के लिए आज पहले 3 महीने का यानी हर बच्चे को 4000 रुपये हर माह राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी. 18 वर्ष की उम्र तक राज्य सरकार उनके लालन-पालन की व्यवस्था करेगी.
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