गोंडा: खमरिया गांव की महिलाओं को मिला स्वरोजगार योजना का साथ, छोड़ दिया 'अवैध धंधा'
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गोंडा: खमरिया गांव की महिलाओं को मिला स्वरोजगार योजना का साथ, छोड़ दिया 'अवैध धंधा'

कोतवाली देहात क्षेत्र के खमरिया गांव की रहने वाली महिलाओं ने शराब बनाने के गोरखधंधे को छोड़कर अब सरकार की चलाई जा रही योजनाओं का हिस्सा बनने का संकल्प किया है. घर में खेती नहीं होने की वजह से उन्हें बच्चों के पालन-पोषण के लिए ऐसा काम अपनाना पड़ा. 

खमरिया गांव की महिलाओं ने अवैध शराब बनाने का धंधा छोड़ा

गोंडा: जिले के खमरिया गांव में रहने वाली 24 से ज्यादा महिलाएं अब तक अपनी रोजी-रोटी के लिए अवैध शराब बनाने के धंधे में लगी हुई थीं, लेकिन अब उन्होंने अपनी सोच बदल ली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वरोजगार योजना और प्रदेश सरकार के सहयोग से ये महिलाएं अब शराब बनाने का अवैध धंधा छोड़कर अपने लिए स्वरोजगार का इंतजाम कर रही हैं. 

'कोई काम नहीं था, इसलिए अवैध शराब का काम करते थे'
कोतवाली देहात क्षेत्र के खमरिया गांव की रहने वाली महिलाओं ने शराब बनाने के गोरखधंधे को छोड़कर अब सरकार की चलाई जा रही योजनाओं का हिस्सा बनने का संकल्प किया है. महिलाओं का कहना है कि शराब बनाने के काम में डर-डर कर जीना पड़ता है. पुलिस वाले लगातार परेशान करते हैं. उनका कहना है कि ₹100 के काम में ₹90 वैसे ही चला जाता है. ऐसे में डरने और घाटे में रहने से बेहतर है कि वे कुछ अपना काम शुरू करें. घर में खेती नहीं होने की वजह से उन्हें बच्चों के पालन-पोषण के लिए ऐसा काम अपनाना पड़ा. 

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सरकारी अधिकारी भी मदद को तैयार 
विकास अधिकारी शशांक त्रिपाठी का कहना है कि ऐसी जानकारी मिली है कि खमरिया गांव की महिलाएं अवैध शराब बनाने के कार्य को छोड़ रही हैं. वे बताते हैं कि महिलाएं अगर उनके पास आएंगी, तो सरकार की चलाई जा रही कई योजनाओं के तहत उनको रोजगार मुहैया कराया जाएगा. दोन-पत्तल या मोमबत्ती-अगरबत्ती जो भी कार्य करने में महिलाएं सक्षम होंगी, उन्हें वो रोजगार दिया जाएगा, ताकि अवैध शराब के गोरखधंधे में उन्हें फिर न जाना पड़े.

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