साहब की कलम ने लिख दी 'मौत', खुद के जिंदा होने का सबूत दे रहा 'मुर्दा'
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साहब की कलम ने लिख दी 'मौत', खुद के जिंदा होने का सबूत दे रहा 'मुर्दा'

Kushinagar News:  एक मामला कुशीनगर से भी सामने आया है जहां एक जिंदा बुजुर्ग को कागज़ों में मार दिया गया है. मृत दिखा कर बुजुर्ग का पेंशन बंद कर दिया गया. 

man declared dead

कुशीनगर: फिल्म कागज में पंकज त्रिपाठी का किरदार तो आपको याद होगा. जिसमें कागजों में मर चुका किरदार खुद को जिंदा साबित करने के लिए क्या कुछ नहीं करता. एक ऐसा ही मामला कुशीनगर से भी सामने आया है जहां एक जिंदा बुजुर्ग को कागज़ों में मार दिया गया है. 

पूरा मामला क्या है
दरअसल, कुशीनगर में एक बुजुर्ग अपने जिंदा होने का सबूत खोज रहा है. जीता जागता यह मुर्दा. सरकारी फाइलें चीख चीख कर इनके मुर्दा होने का सबूत देती है. यह मामला खड्डा विकासखंड के ग्राम सभा सोहरौना गांव का है. जहां से एक 69 साल के बुजुर्ग जगदीश को गांव के सचिव ने सरकारी कागजों में मुर्दा घोषित कर दिया है. 

सरकारी कागजो में मुर्दा 
सरकारी सिस्टम के गजब कारनामें ने कैसे जिंदा बुजुर्ग को मुर्दा घोषित किया यह सोचने की बात है. मृत दिखा कर बुजुर्ग जगदीश का पेंशन बंद कर दिया गया. अब बुजुर्ग अपने हाथों में कागजात लिए अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट- काट कर थक चुका हैं. बुजुर्ग अधिकारियों के कार्यालयों में जा जा कर कह रहा है 'मैं अभी जिंदा हूं साहब... मैं बेसहारा हूं साहब.... मेरा पेंशन आप लोगों ने मुझे मुर्दा दिखाकर क्यों काट दिया....' यह सवाल बुजुर्ग पूछ रहा हैं. उस सरकारी सिस्टम से जिसने उसे मुर्दा घोषित किया है. जब अधिकारियों को गलती का अहसास हुआ तो आनन फानन में टीम बनाई और गांव में जांच टीम भेज दी. जांच करने पहुंची टीम ने इतनी भारी गलती कर चुकी थी कि खंड विकास अधिकारी विनीत यादव के चेहरे की हवाई उड़ चुकी थी.

इस घटना में किसकी गलती 
सवाल पूछा गया तो जांच अधिकारी सचिव को कभी बुलाये तो वह इधर उधर नजर कैमरे से चुराते दिखे. जब सचिव साहब से जिंदा को मुर्दा होने का पूछा गया तो साहब सन रह गए. बुजुर्ग जगदीस को मुर्दा घोषित करने वाले और रिपोर्ट लगाने वाले गांव के सचिव धर्मेंद्र यादव से भी सवाल पूछा गया तो सचिव साहब के भी होश उड़ गए. आखिर जवाब दे तो क्या दे. माथा पकड़े या कही सिर पटक ले. अब दोनों साहब जांच की बात कह रहे हैं अरे साहब कौन सी जांच कौन सा पड़ताल...आपने ही मुर्दा घोषित किया तो आप ही जिंदा भी कर दो...कागज़ी कलम चला कर कागज़ों का पेट भरने वाले भला यह अधिकारी क्या जाने बुजुर्ग जगदीस का दर्द जो खुद को जिंदा होने का सबूत दे रहा हैं फिर भी सरकारी सिस्टम उसे मृत मान रहा हैं. 

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