ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन इसलिए भी अहम है क्योंकि यह चीन से सीमा लगने वाले उत्तराखंड में बुनियादी ढांचा बनाने का काम करेगी. इसके अलावा इसका उद्देश्य चार धामों के लिए यातायात को और सुगम बनाना है.
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ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेलवे लाइन : देवभूमि उत्तराखंड में इस समय ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का काम तेजी से चल रहा है. निर्माण कार्य की बात की जाए तो श्रीनगर में रेल लाइन की टनल का काम अब अपने आखिरी दौर में है. टनल की खुदाई से लेकर फाइनल टच देने का काम किया जा रहा है. मेन टनल में सिर्फ 212 मी. की दूरी बची है. जबकि स्केप टनल में 12 मी. का काम बचा हुआ है. माना जा रहा है कि 12 मी की टनल का ब्रेकथ्रू कल तक हो जाएगा. मेन टनल का ब्रेकथ्रू इस साल दिसंबर में होना है.
आपको बता दें कि श्रीनगर एक ऐसा इलाका है जहां घनी आबादी के बीच रेलवे टनल गुजरेगी. यहां कुल तीन स्टेशन बनेंगे. एक स्टेशन मलेथा में, एक रानीहाट में और एक धारी देवी में बनना है. श्रीनगर में 9 किमी की मेन टनल बनेगी. यह सुरंग जीएनटीआई मैदान से धारी देवी रेलवे स्टेशन तक जाएगी. स्केप टनल का काम भी पूरा होने को है. इसका ब्रेकथ्रू कल होना है. अब श्रीनगर में बस दो ही ब्रेकथ्रू बचे हैं. ब्रेकथ्रू के बाद सुरंग में पटरी बिछाने का काम शुरू होगा. साथ ही रेलवे स्टेशन का काम शुरू किया जाएगा.
आपको बता दें कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच 126 किलोमीटर लंबी लाइन बननी है. यह भारतीय रेलवे की चार धाम रेलवे परियोजना का मुख्य फीडर मार्ग है जिसका उद्देश्य यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ के चार धाम तीर्थ स्थलों को जोड़ना है. भारत-चीन सीमा पर बुनियादी ढांचे के निर्माण की भारतीय भू-रणनीतिक पहल के हिस्से के रूप में, यह रेल लाइन राष्ट्रीय रणनीतिक महत्व की है. यह भारत की सबसे लंबी सुरंग-रेल परियोजना है. 16,200 करोड़ रु. की लागत वाली यह परियोजना ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच यात्रा के समय को 6-7 घंटे से घटाकर ढाई घंटे कर देगी.