Special: जीवन भर किराये के मकान में रहने वाला वो शख्स, जिसे महिलाओं ने माना 'सरदार'
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand807012

Special: जीवन भर किराये के मकान में रहने वाला वो शख्स, जिसे महिलाओं ने माना 'सरदार'

भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिए उन्हे भारत का 'लौहपुरुष' कहा गया. उनकी सबसे बड़ी सफलता थी - 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना. 

सरदार पटेल

नई दिल्ली: किसी आम पृष्ठभूमि से निकल खास हो जाना ही महापुरुषों का व्यक्तित्व होता है. आज जिस सरदार पटेल की पुण्यतिथि है, वे भी ऐसी महान हस्ती थे कि उन्होंने किस्मत नहीं सिर्फ संकल्पशक्ति, कर्तव्यपरायणता और मेहनत के दम पर अपना वो मुकाम बनाया जिसे कोई छू नहीं सका. भारतीय राजनीति में बिरले ही ऐसे राजनेता हैं, जिनकी छवि पर कीचड़ उछालने की किसी में हिम्मत न हुई हो, देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल का नाम उन्हीं नेताओं में सबसे आगे आता है. उनकी असाधारण काबिलियत ही थी कि एक साथ 562 रियासतों का एकीकरण करके उन्होंने भारतवर्ष को एक विशाल देश का स्वरूप दिया. उनके व्यक्तित्व की कुछ ऐसी बातें हम सबको जाननी जरूरी हैं, जो सरदार पटेल का कद बेहद ऊंचा कर देती हैं. 

गुजरात में जन्म, मुंबई में मृत्यु 
उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में हुआ था. उन्होंने अपनी अंतिम सांस 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में ली. किसान परिवार में जन्मे पटेल अपनी कूटनीतिक क्षमताओं के लिए भी याद किए जाते हैं. 

22 वर्ष में मैट्रिक, 30 महीने में वकालत 
सरदार पटेल को अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने में काफी वक्त लगा. उन्होंने 22 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास की. परिवार में आर्थिक तंगी की वजह से उन्होंने कॉलेज जाने की बजाय किताबें लीं और खुद डीएम की परीक्षा की तैयारी करने लगे. इस परीक्षा में उन्होंने सर्वाधिक नंबर मिले. 36 साल की उम्र में सरदार पटेल वकालत पढ़ने के लिए इंग्लैंड गए. उनके पास कॉलेज जाने का अनुभव नहीं था फिर भी उन्होंने 36 महीने के वकालत के कोर्स को महज 30 महीने में ही पूरा करके अपनी विलक्षण बुद्धि का प्रदर्शन किया. 

fallback

राम लला की शरण में पहुंचे अखिलेश, बोले- राम-कृष्ण किसी की जागीर नहीं

पत्नी की मृत्यु की सूचना मिली, फिर भी नहीं छोड़ा कर्तव्य
सरदार पटेल की पत्नी झावेर बा कैंसर से पीड़ित थीं. उन्हें साल 1909 में मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जब सरदार पटेल एक मुकदमे की कार्यवाही में व्यस्त थे, उसी वक्त उन्हें ऑपरेशन के दौरान पत्नी के निधन की सूचना मिली. पटेल ने वो संदेश चुपचाप जेब में रख लिया और बहस जारी रखी. इस केस को वो जीते भी. 

बड़े भाई के लिए किया त्याग
साल 1905 में वल्लभ भाई पटेल वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड जाना चाहते थे. लेकिन पोस्टमैन ने उनका पासपोर्ट और टिकट उनके भाई विठ्ठल भाई पटेल को सौंप दिया.
दोनों भाइयों का शुरुआती नाम वी जे पटेल था. ऐसे में विठ्ठल भाई ने बड़ा होने के नाते उस समय खुद इंग्लैंड जाने का फ़ैसला लिया. वल्लभ भाई पटेल ने उस समय न सिर्फ बड़े भाई को अपना पासपोर्ट और टिकट दिया, बल्कि उन्हें इंग्लैंड में रहने के लिए कुछ पैसे भी भेजे.

बारडोली सत्याग्रह में महिलाओं ने बनाया 'सरदार'
बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहां की महिलाओं ने 'सरदार' की उपाधि दी थी.  बारडोली सत्याग्रह भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में हुआ एक प्रमुख किसान आंदोलन था, जिसका नेतृत्व वल्ल‍भ भाई पटेल ने किया था. उस वक्त प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी थी. वल्लभ भाई पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया. आंदोलन को दबाने का भी प्रयास हुआ लेकिन पटेल की दृढ़ता के आगे अंग्रेज लाचार हुए और विवश होकर किसानों की मांग मान ली और लगान को 6 फीसदी कर दिया. इसी आंदोलन के बाद यहां की महिलाओं ने पटेल को सरदार पटेल कहा और उनका ये नाम इतिहास में अमर हो गया. 

fallback

कभी पी है आपने करी पत्ते की चाय? वजन घटा रहे हैं तो दिखेगा चमत्कारी असर 

टूटा चश्मा और फटी धोती पर सरदार का जवाब 
सरदार पटेल का एक किस्सा ये भी है कि वे एक बार बहुत बीमार थे. जब कांग्रेस के एक नेता उनसे मिलने पहुंचे तो उन्हें देखकर हैरान रह गए. साधारण से घर में बैठे सरदार पटले के चश्मे की कमानी टूटी हुई थी, जिस पर धागा बंधा था. धोती फटी हुई थी. उनकी बेटी मणिबेन पटेल के कपड़े भी पैबंद लगे हुए थे. जब कांग्रेसी नेता ने उनसे कहा, गृहमंत्री होने के बाद भी वे ऐसे कैसे रहते हैं तो सरदार पटेल का जवाब था 'मैं एक गरीबी और लाचारी से जूझ रहे विपन्न देश का गृहमंत्री हूं. अगर मैं ही ये बात नहीं समझूंगा तो देश के लोगों के साथ ये विश्वासघात होगा.'

562 रियासतों का एकीकरण करने वाले 'लौह पुरुष'
सरदार पटेल की कूटनीति का सबसे बड़ा उदाहरण उनका एक बिखरे हुए देश को एक करना था. गृहमंत्री के तौर उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों को भारत में मिलाना था. हैदराबाद के ऑपरेशन पोलो को छोड़ दें तो उन्होंने इस काम को उन्होंने बिना खून खराबे के कर दिखाया.  भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिए उन्हे भारत का 'लौहपुरुष' कहा गया. उनकी सबसे बड़ी सफलता थी - 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना. विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो. 

सोमनाथ मंदिर का निर्माण 
आज़ादी से पहले जूनागढ़ रियासत के नवाब ने 1947 में पाकिस्तान के साथ जाने का फ़ैसला किया था. लेकिन भारत ने उनका फ़ैसला स्वीकार करने के इनकार करके उसे भारत में मिला लिया. भारत के तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री सरदार पटेल 12 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ पहुंचे. उन्होंने भारतीय सेना को इस क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने के निर्देश दिए और साथ ही सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया.

fallback

UP में रोजगार ही रोजगार, इंग्लैंड की कंपनी लगाएगी खमीर प्लांट, 5000 युवाओं को नौकरी

जीवन भर किराये के मकान में रहे
सरदार पटेल के पास खुद का मकान भी नहीं था. वे अहमदाबाद में किराए एक मकान में रहते थे. 15 दिसंबर 1950 में मुंबई में जब उनका निधन हुआ, तब उनके बैंक खाते में सिर्फ 260 रुपए मौजूद थे. 

...तो सरदार पटेल होते पहले प्रधानमंत्री
1945-1946 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए सरदार पटेल प्रमुख उम्मीदवार थे. लेकिन महात्मा गांधी ने 1937-38 के अधिवेशन की तरह फिर हस्तक्षेप करके जवाहरलाल नेहरू को अध्यक्ष बनाया. कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नेहरू को ब्रिटिश वाइसरॉय ने अंतरिम सरकार के गठन के लिए आमंत्रित किया. यानि अगर घटनाक्रम सामान्य रहता तो सरदार पटेल भारत के पहले प्रधानमंत्री होते.

WATCH LIVE TV

Trending news