पहले दौर का सीरो सर्वे भारत के 21 राज्यों के 70 जिलों के 700 गांवों और वार्डों में 11 मई से 4 जून के बीच किया गया था, जिसमें 181 शहरी (25.9 %) इलाके शामिल थे. सर्वे का सैंपल साइज 28000 था.
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नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने पूरे देश में किए गए सीरो सर्वे (Sero Survey) के पहले दौर के नतीजों का ऐलान कर दिया है. सीरो सर्वे में भारत की ग्रामीण आबादी को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. सर्वे के मुताबिक गांवों में कोरोनो वायरस के संक्रमण की 69.4% थी. जबकि शहरी झुग्गियों में यह दर 15.9 प्रतिशत और शहरी गैर-मलिन बस्तियों में 14.6 प्रतिशत दर्ज की गई.
सीरो सर्वे के मुताबिक 18-45 वर्ष के लोगों में पॉजिटिविटी दर 43.3% थी
पहले दौर का सीरो सर्वे भारत के 21 राज्यों के 70 जिलों के 700 गांवों और वार्डों में 11 मई से 4 जून के बीच किया गया था, जिसमें 181 शहरी (25.9 %) इलाके शामिल थे. सर्वे का सैंपल साइज 28000 था. आईसीएमआर की ओर से जारी सीरो सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 18-45 वर्ष आयु वर्ग में सीरो पॉजिटिविटी दर सबसे ज्यादा 43.3% थी, इसके बाद 46-60 वर्ष आयु वर्ग में 39.5% और 60 वर्ष से ऊपर की आयु वर्ग के लोगों में पॉजिटिविटी दर सबसे कम 17.2% पाई गई.
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सीरो सर्वे के के मुताबिक मई तक भारत में 64 लाख कोरोना संक्रमित थे
सीरो सर्वे के नतीजों के मुताबिक मई की शुरुआत तक 64 लाख (64,68,388) लोगों के कोरोना के सम्पर्क में आने का अनुमान है. सीरो सर्वे के नतीजे उस वक्त की स्थिति को दर्शाते हैं जब देश मे लॉकडाउन लागू था और बड़ी संख्या में पलायन हो रहा था. सीरो सर्वे में 18 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के लोगों का सैम्पल लिया गया था. भारत की 135 करोड़ आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा गांवों में रहता है. ‘हाऊ इंडिया लिव्स’ वेबसाइट के मुताबिक देश के 714 जिलों में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं.
क्या होता है सीरोलॉजिकल सर्वे?
सीरोलॉजिकल टेस्ट या सीरो सर्वे दरअसल एक तरीके का ब्लड टेस्ट है, जो व्यक्ति के खून में मौजूद एंटीबॉडी की पहचान करता है. ब्लड में अगर रेड ब्लड सेल को निकाल दिया जाए, तो जो पीला पदार्थ बचता है उसे सीरम कहते हैं. इस सीरम में मौजूद एंटीबॉडीज से अलग-अलग बीमारियों की पहचान के लिए अलग-अलग तरह के सेरोलॉजिक टेस्ट किए जाते हैं. बावजूद इसके सभी तरह के सीरोलॉजिकल टेस्ट में एक बात कॉमन होती है और वो ये कि सभी इम्यून सिस्टम द्वारा बनाए गए प्रोटीन पर फोकस करते हैं. शरीर का यह इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बाहरी तत्वों द्वारा शरीर पर किए जा रहे आक्रमण को रोक कर आपको बीमार पड़ने से बचाता है.
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कैसे होता है सीरोलॉजिकल सर्वे?
ऐसे टेस्ट की ज़रूरत इसलिए है ताकि कंटेनमेंट प्लान में बदलाव की कोई गुंजाइश हो या फिर सरकार को अपनी टेस्टिंग की रणनीति में कोई बदलाव लाना हो तो तुंरत किया जा सके. कुल मिला कर कोरोना के फैलने से रोकने के लिए ये टेस्ट जरूरी हैं. कारोना सीरो सर्वे में किसी संक्रमित क्षेत्र में रहने वाले लोगों के खून के सीरम की जांच की जाती है. इस सर्वे में लोगों के शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडीज की मौजूदगी के साथ ही यह पता चल जाता है कि कौन सा शख्स इस वायरस से संक्रमित था और फिलहाल ठीक हो चुका है.
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