ग्रेटर नोएडा हादसे में सर्च ऑपरेशन जारी, 40 गांवों में अवैध इमारतों का होगा सर्वे
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ग्रेटर नोएडा हादसे में सर्च ऑपरेशन जारी, 40 गांवों में अवैध इमारतों का होगा सर्वे

17 जुलाई को ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में गिरी थींं दो इमारतें. अब त‍क निकाले गए हैं 9 शव.

बचाव अभियान अभी भी जारी है. (फोटो ANI)

ग्रेटर नोएडा : ग्रेटर नोएडा वेस्‍ट के शाहबेरी इलाके में 17 जुलाई को गिरी इमारत का मलबा हटाने का काम अभी भी जारी है. नेशनल डिजास्‍टर रिस्‍पांस फोर्स (एनडीआरएफ) और पुलिस की टीमें मिलकर लगातार बचाव अभियान चला रही हैं. अभी तक हादसे में मरने वाले नौ लोगों के शवों को मलबे से निकाला जा चुका है. प्रशासन के मुताबिक अभी भी मलबे में कई शवों के दबे होने की आशंका है. इसी को लेकर बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है. वहीं इस हादसे से सबक लेते हुए प्राधिकरण और प्रशासन ने इलाके में अवैध इमारतों को लेकर अभियान चलाने की योजना बनाई है.

 

अभियान के तहत ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी समेत 40 गांवों में प्राधिकरण अवैध इमारतों का सर्वे कराएगा. सर्वे में यह पता लगाया जाएगा कि इलाके में कुल कितने अवैध फ्लैट बने हुए हैं. जिस जमीन पर फ्लैट बनाए गए हैं, वह प्राधिकरण की जमीन है और किसानों की आबादी वहां बसी है. किसानों को आबादी की जमीन पर आवास के लिए सिर्फ ढाई मंजिल मकान बनाने का अधिकार है. इससे अधिक ऊंचाई की इमारतों को अवैध घोषित किए जाने की तैयारी है. सर्वे के बाद अवैध इमारत बनाने वालों के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराया जाएगा. सर्वे टीम को उन लोगों के नामों की पहचान के निर्देश दिए गए हैं.

दरअसल, कालोनाइजर और छोटे बिल्डर किसानों से सस्ती दर पर जमीन खरीदकर अवैध फ्लैटों का निर्माण करते हैं. प्राधिकरण से नक्शा पास नहीं कराया जाता है. इतना ही नहीं किसी भी इमारत का नक्शा आर्किटेक्ट से सत्यापित नहीं कराया जाता है. लोगों को गुमराह करने के लिए जनसुविधाएं देने के नाम पर सपने दिखाए जाते हैं. फ्लैट बिकने के बाद खरीदार को जनसुविधा के नाम पर कोई सुविधा नहीं दी जाती है.

सरकार ने इस दर्दनाक हादसे पर दुख जताया है और मृतकों के परिवारवालों को दो-दो लाख रुपये के मुआवजे का एलान किया गया है. बिल्डिंग हादसे के बाद अब तक पांच लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, जिनके खिलाफ NSA लगेगा. हादसे को लेकर एक और बात सामने आई है. अवैध निर्माण के खिलाफ सीएम को चिट्ठी लिखी गई थी. बड़ी बात ये है कि मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखे जाने के बाद भी अवैध निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी.

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