पंडों ने कहा, ''इन रिकॉर्डों को कंप्यूटर में रखना संभव नहीं है क्योंकि, कंप्यूटर या इसमें रखे डेटा चोरी होने पर हमारे पूर्वजों की पूरी मेहनत बेकार हो जाएगी. हमारे जजमान हमारा नाम पूछकर और झंडा देखकर हमारे पास आते हैं.''
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प्रयागराज: आज के इस डिजिटल और तेज रफ्तार युग में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) ने भले ही कमोबेश हर क्षेत्र में अपनी जगह बना ली है, लेकिन कुछ पुरातन प्रथाएं आज भी पूरी मजबूती के साथ अपनी जड़े जमाए हुए हैं. तीर्थराज प्रयाग के तीर्थ पुरोहितों द्वारा अपनी पोथियों में अपने जजमानों का पीढ़ी दर पीढ़ी तमाम ब्यौरा रखना ऐसी ही एक प्रथा है. संगम तट पर पुरोहित विभिन्न झंडों और चिन्हों के तले जजमानी करते हैं. गौरी शंकर हाथी छाप मार्का के तहत जजमानी करने वाले तीर्थ पुरोहित सूरज कुमार पांडेय ने पंडों द्वारा आईटी का उपयोग नहीं करने के बारे बताया, ''हार्ड डिस्क की अपनी सीमा और लाइफ होती है. हार्ड डिस्क के खराब होने पर कई पीढ़ियों के डाटा खत्म होने का खतरा है.''
राज्य के हिसाब से रखते हैं जजमानों की पोथी
पांडेय ने कहा, ''इसके अलावा, हमारे जजमान बही खातों में अपने पूर्वजों का नाम आदि देखकर बहुत खुश होते हैं और अलग अलग बही खाते होने से एक साथ कई जजमानों को ब्यौरा दिखाया जा सकता है, जबकि एक लैपटॉप से एक ही जजमान को ब्यौरा दिखाया जा सकेगा.'' हाथी वाले मार्का का पूरा कुनबा जजमानी के पेशे में लगा है जिसमें गौरी शंकर का परिवार छत्तीसगढ़ के जजमानों को देखता है, जबकि केदारनाथ हाथी वाले गुजरात, गंगा प्रसाद हाथी वाले मध्य प्रदेश, सलक राम बालक राम हाथी वाले यूपी, रामचंद्र हाथी वाले महाराष्ट्र और गंगाधर हाथी वाले ओड़िशा के जजमानों को देखते हैं.
200 वर्षों पुराना रिकॉर्ड शायद ही कंप्यूटर संभाल पाए
बेनी माधव शिव प्रसाद लालटेन के झंडे बैनर तले जजमानी करने वाले पंडा किरण महाराज का कहना है, ''हमारे पास जजमानों का कई सौ वर्षों का रिकॉर्ड है जिसमें से 200 वर्ष पुराना रिकॉर्ड वर्तमान में बही खातों में मौजूद है. इससे पुराने रिकॉर्ड भोज पत्र, ताम्र पत्र में जीर्ण शीर्ण अवस्था में हैं.'' उन्होंने कहा, ''इन रिकॉर्डों को कंप्यूटर में रखना संभव नहीं है क्योंकि, कंप्यूटर या इसमें रखे डेटा चोरी होने पर हमारे पूर्वजों की पूरी मेहनत बेकार हो जाएगी. हमारे जजमान हमारा नाम पूछकर और झंडा देखकर हमारे पास आते हैं.''
बही की सुरक्षा के लिए रखते हैं मुनीम
चांदी के नारियल वाले मार्का के तहत कर्मकांड कराने वाले पंडा विक्रम बहादुर मिश्र ने बताया, ''हमारे जजमान मारवाड़ी हैं जो राजस्थान के सवाई माधोपुर, सीकर, झुनझुनू, जयपुर, गंगानगर, बाड़मेर आदि जिलों से हैं. मां गंगा और बहीखातों में उनकी बहुत आस्था है. हम कंप्यूटर अपना कर उनकी आस्था को ठेस नहीं पहुंचा सकते. हमारे जजमानों में जयपुर का राजपरिवार शामिल है.'' मिश्र ने कहा कि इन बही खातों के रखरखाव के लिए भले ही हमें मुनीम रखना पड़ता है और उसे पगार देनी पड़ती है, पर हम अपने बही खातों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं कर सकते.
प्रयागराज में बढ़ गए हैं फर्जी पंडे
तीर्थस्थलों पर तीर्थयात्रियों को ठगने के आरोप पर गौरी शंकर हाथी छाप मार्का के सूरज कुमार पांडेय ने कहा, ''नगर में कुछ दलाल किस्म के पंडा हैं जिनके चंगुल में फंसकर जजमान ठगे जाते हैं. इन दलालों के पास कोई बही खाता नहीं होता. यदि जजमान सही तीर्थपुरोहित के पास जाएंगे तो ठगे जाने से बच जाएंगे.''
(इनपुट भाषा से)