Ravi Kishan success story: भोजपुरी सिनेमा से सियासत के सूरमा बने रवि किशन की कहानी के कई अनसुने पहलू भी हैं. इनमें से एक सवाल है कि वो अपने नाम के आगे सरनेम में शुक्ला क्यों नहीं लगाते. वो अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती क्या मानते हैं.
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Ravi Kishan Story: रवि किशन की कहानी संघर्ष, समर्पण और सफलता का बेहतरीन उदाहरण है. वे कैसे गरीबी में बचपन बिताया, बॉलीवुड में पहचान बनाने के लिए संघर्ष किया, भोजपुरी सिनेमा को राष्ट्रीय पहचान दिलाई और राजनीति में भी अपनी जगह बनाई.
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि तोर लहंगा उठा देब रिमोट गाना उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती है. इस वजह से उन्हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी. वहीं शुक्ला सरनेम न लगाने को लेकर अभिनेता ने कहा कि जब कोई पेट और कामयाबी की भूख लेकर घर से निकलता है तो जाति धर्म मायने नहीं रखता.
गरीबी में बीता बचपन, अधूरी रही पढ़ाई
रवि किशन का बचपन बेहद कठिन रहा. उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. इस दौरान बताया कि उनके परिवार के 10-12 सदस्य खिचड़ी खाकर गुजारा करते थे. गरीबी के कारण वह अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाए. लेकिन इन हालातों ने उनके हौसले को कमजोर नहीं किया, बल्कि उन्हें अपने सपनों के लिए लड़ने का जज्बा दिया.
भोजपुरी सिनेमा के ब्रांड एंबेसडर
रवि किशन ने भोजपुरी सिनेमा को एक नई पहचान दिलाई. इसे राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई. उनके प्रयासों के चलते भोजपुरी सिनेमा को पहला नेशनल अवार्ड मिला. इस सफलता को गर्व से याद करते हुए कहा कि अब नए कलाकारों की जिम्मेदारी है कि वे इस परंपरा को आगे बढ़ाएं.
नौ भाषाओं में दमदार अभिनय
रवि किशन केवल भोजपुरी या हिंदी सिनेमा तक सीमित नहीं रहे. वे तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और अंग्रेजी सहित नौ भाषाओं में काम किया है. उनकी गिनती बहुभाषीय सिनेमा के प्रमुख कलाकारों में होती है. हर भाषा में उनके अभिनय की तारीफ हुई, जिससे उनकी लोकप्रियता और बढ़ी.
बेटी को आर्मी में भेजने से किया इनकार
रवि किशन ने एक इंटरव्यू में अपनी बेटी को आर्मी में न भेजने की वजह बताई. इस दौरान कहा कि एक पिता अपनी बेटी को तकलीफ में नहीं देख सकता. उनके मुताबिक, बेटियां पिता के करीब होती हैं और बेटे मां के.अपनी भावनाओं को खुलकर साझा किया, जो हर पिता के दिल को छू सकती हैं.
अनुराग कश्यप का बजट बना बाधा
'गैंग्स ऑफ वासेपुर' जैसी चर्चित फिल्म में काम न कर पाने का किस्सा साझा करते हुए रवि किशन ने बताया कि उस वक्त उनकी लाइफस्टाइल काफी भव्य थी. वहीं, अनुराग कश्यप का बजट कम था, जिसके कारण यह मौका उनके हाथ से निकल गया. हालांकि, इसे अपनी असफलता नहीं माना और आगे बढ़ते रहे.
राजनीति में नया सफर
2019 में रवि किशन ने भारतीय जनता पार्टी से गोरखपुर लोकसभा सीट जीतकर संसद में कदम रखा. फिल्मों की तरह ही उन्होंने राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई. उनकी लोकप्रियता और मेहनत ने उन्हें एक प्रभावी नेता के रूप में स्थापित किया.