पौराणिक मान्यताओं के अनुसार औरैया का कुदरकोट कस्बा द्वापर युग के समय कुन्दनपुर नाम से जाना जाता था. कुंदनपुर देवी रुक्मणी के पिता राजा भीष्मक की राजधानी हुआ करती थी.
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गौरव श्रीवास्तव/औरैया: कृष्ण जन्मोत्सव की बेला आते ही मंदिरों में तैयारियां तेज होने लगती हैं. लेकिन औरैया के कुदरकोट का मंदिर अपने आप में विशेष स्थान रखता है. दरअसल भगवान कृष्ण की ससुराल के नाम से कुदरकोट की पहचान बनी हुई है. ऊंचे से खेरे पर यह माता अलोपा देवी का मंदिर बना हुआ. श्री कृष्ण की जन्माष्टमी के पावन पर्व को मनाने के लिए यहां भी धूम से तैयारी की जाती है.
कुंदनपुर से जाना जाता था कुदरकोट कस्बा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार औरैया का कुदरकोट कस्बा द्वापर युग के समय कुन्दनपुर नाम से जाना जाता था. कुंदनपुर देवी रुक्मणी के पिता राजा भीष्मक की राजधानी हुआ करती थी. देवी रुक्मणी इसी मंदिर में माता गौरी की पूजा प्रतिदिन करने आती थीं. पिता भीष्मक द्वारा श्री कृष्ण से विवाह की बात देवी रुक्मणी के भाई रुकुम को बर्दाश्त नहीं हुयी तो उसने अपने साले शिशुपाल से देवी रुक्मणी की शादी तय कर दी.
भगवान कृष्ण की ससुराल के नाम से प्रसिद्ध हुआ कुदरकोट
देवी रुक्मणी कृष्ण को बहुत प्यारी थीं. देवी रुक्मणी जब नियमानुसार इस मंदिर में पूजा करने आई तो श्री कृष्ण ने उनका हरण कर लिया. उसी समय माता गौरी भी इस मंदिर से आलोप हो गयीं. तब से इस मंदिर को आलोपा देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है. और कुदरकोट भगवान कृष्ण की ससुराल के नाम से प्रसिद्ध हो गया.
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धूमधाम से मनाई जाती है जन्माष्टमी
यहां के लोग भगवान कृष्ण की भक्ति में जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं. मान्यता यह भी है कि उस दिन के बाद से इस गांव में शादी के पहले होने वाली तेल चढ़ाई की रस्म इस इलाके के लोग नही करते. जन्माष्टमी पर यहां लोग बड़ी श्रद्धा भाव और संगीत मय भक्ति के साथ मनाते है. 2016 में यहां एक रहस्यमयी सुरंग भी निकली थी कहा जाता है कि यह द्वापर समय की बनी हुई है जिससे रुक्मणि इसी सुरंग के रास्ते पूजा करने जाती थीं.
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