Bihar: BJP विधायक ने बागमती नदी के पुनर्रोद्धार में लगाए भ्रष्टाचार के आरोप, नीतीश सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही
Bihar Politics: बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया कि डैम के निर्माण में सरकार की ओर 38 करोड़ रुपए का बजट दिया गया दिया, लेकिन जमीन पर 38 लाख का काम नहीं हुआ.
Bihar Politics: बिहार में लगातार टूट रहे पुलों पर सीएम नीतीश कुमार घिरते नजर आ रहे हैं. विरोधी के साथ-साथ अब अपने भी उनपर निशाना साध रहे हैं. इसी कड़ी में बिहार के पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक रामसूरत राय ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. बीजेपी विधायक ने बागमती नदी के पुनर्रोद्धार में सीएम नीतीश कुमार के अधिकारियों पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. राम सूरत राय ने बागमती नदी के पुनर्रोद्धार के लिए 24 करोड़ के कॉफर डैम के टेंडर में भ्रष्टाचार का बड़ा गंभीर आरोप लगाया है. बीजेपी विधायक के मुताबिक, रुन्नी सैदपुर अनुमंडल के जेई और इंजीनियर चीफ ने कॉफर डैम बनाने के मानक को पूरा नहीं करने पर 45 दिन के अंदर ही डैम टूट गया.
बीजेपी विधायक ने कहा कि डैम के निर्माण में सरकार की ओर 38 करोड़ रुपए का बजट दिया गया दिया, लेकिन जमीन पर 38 लाख का काम नहीं हुआ. बीजेपी एमएलए रामसूरत राय ने कहा कि बख्तियारपुर के संजय कुमार को मिला था कॉपर डैम बनाने का 24 करोड़ का टेंडर मिला था. डैम टूटने के बाद फिर रिपेयरिंग के लिए 4 करोड़ रुपया दिया गया. उसके बाद पायलट चैनल के तहत नदी सफाई करके मिट्टी कैरेज करने के लिए 10 करोड़ दिए गए. इस तरह से कुल 38 करोड़ रुपया दिया गया. उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाएंगे. अगर कहीं से सुनवाई नहीं हुई तो हाई कोर्ट में पीआईएल दायर करेंगे.
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उन्होने कहा कि इस घोटाले का पुनः जांच करके गबन किए गए सरकारी राजस्व को वसूला जाए. राम सूरत राय ने कहा उपधारा को बंद करने के लिए कॉफर डैम का प्रावधान किया गया था, लेकिन कॉफर डैम का डिजाइन गलत बनाया गया और उसकी ऊंचाई NSL तक ना करके बहुत कम रखी गई. जिसके कारण मुख्य धारा की सफाई करने के बाद भी नदी कॉफर डैम को तोड़कर उपधारा से बहने लगी. मुख्य धारा की सफाई में निकली मिट्टी को किनारे पर ही रखी गई. पहली बरसात में सारी मिट्टी वापस बह कर मुख्य धारा में चली गई. जिसके कारण मुख्य धारा चालू नहीं हो सकी और भुगतान मिट्टी के डिस्पोजल का लिया गया. उन्होने मांग की है कि इसकी उच्च स्तरीय जांच कराके एजेंसी से पैसों की वसूली की जाए और फिर से काम कराया जाए.