इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए देश भर से आने वाले कैलाश मानसरोवर के यात्रियों का दल रोक दिया गया है. जून के दूसरे हफ्ते से शुरू होने वाली ये यात्रा सितंबर के दूसरे हफ्ते तक चलती थी. इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण से मौजूद खतरे को भांपते हुए विदेश मंत्रालय ने यात्रा को स्थगित कर दिया है.
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हलद्वानी: कोरोना महामारी के चलते इस बार दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा कैलाश मानसरोवर और आदि कैलाश को रद्द कर दिया गया है. 12 जून से सितंबर तक चलने वाली इस यात्रा से उत्तराखंड सरकार को करीब 4 से 5 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो रहा है जबकि इस यात्रा के बीच कारोबार करने वाले व्यवसायी भी मायूस हैं.
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इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए देश भर से आने वाले कैलाश मानसरोवर के यात्रियों का दल रोक दिया गया है. जून के दूसरे हफ्ते से शुरू होने वाली ये यात्रा सितंबर के दूसरे हफ्ते तक चलती थी. इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण से मौजूद खतरे को भांपते हुए विदेश मंत्रालय ने यात्रा को स्थगित कर दिया है.
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उत्तराखंड में यात्रा के 5 पड़ाव
विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत यहीं से होती है, लिहातजा यात्रा के पहले पांच पड़ाव उत्तराखंड में ही पड़ते हैं. कैलाश मानसरोवर यात्रा उत्तराखंड में सबसे पहले काठगोदाम, भीमताल फिर अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ गूंजी नाभि डांग होते हुए चीन तिब्बत बॉर्डर तक पहुंचती है. इस यात्रा के ना होने से इस बार उत्तराखंड में इस यात्रा का संचालन करने वाली संस्था KMVN को अकेले साढ़े 4 करोड़ से भी ज्यादा का नुकसान हो रहा है.
यात्रा के पड़ाव में बसने वाले कारोबारी परेशान
KMVN के महाप्रबंधक अशोक बताते हैं कि इस यात्रा के ना होने से उत्तराखंड में राजस्व का नुकसान भी होगा क्योंकि कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले यात्री सीमावर्ती क्षेत्रों के होमस्टे में रुकते हैं. उनको पहाड़ी उत्पादों से बने व्यंजनों को परोसा जाता है और इससे इस पूरे इलाके की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. इस बार यात्रा न होने से सीधा नुकसान कारोबारियों को हो रहा है. KMVN की उपाध्यक्ष रेनू अधिकारी का भी कहना है कि कोरोना वायरस के कहर ने अब प्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. ऐसे में इस आर्थिक नुकसान से उबरने के लिए कुछ सख्त कदम उठाने होंगे
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