मेरे लायक नहीं हो, बेडौल हो... सरकारी टीचर बनते ही पत्नी ने पति को किया किनारे
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मेरे लायक नहीं हो, बेडौल हो... सरकारी टीचर बनते ही पत्नी ने पति को किया किनारे

Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानुपर में बहुचर्चित एसडीएम ज्योति मौर्या के तलाक जैसा मामला सामने आया है. पति का आरोप है कि उसने अपने कैरियर की परवाह न करते हुए पत्नी को पढ़ाया बीएड कराया और सरकारी टीचर बनने में उसकी मदद की लेकिन अब पत्नी कहती है कि मैं बेडोल हूं उसके लायक नहीं हूं. 

मेरे लायक नहीं हो, बेडौल हो... सरकारी टीचर बनते ही पत्नी ने पति को किया किनारे

कानपुर/प्रवीण पांडेय: उत्तर प्रदेश के कानपुर में पिछले दिनों सुर्खियों में रही एसडीएम ज्योति मौर्या और उनके पति आलोक मौर्या जैसी ही कहानी सामने आई है.   यहां एक 16 साल पुरानी लव मैरिज का अंत कानूनी लड़ाई और तलाक के फैसले के साथ हुआ. कहानी की शुरुआत 2008 में शिवांश अवस्थी और उनकी पत्नी के प्रेम विवाह से हुई थी. दोनों की मुलाकात यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान हुई थी. विवाह के कुछ वर्षों के भीतर, उनके दो बच्चे भी हुए. 

पत्नी की पढ़ाई के लिए छोड़ा अपना व्यवसाय
शिवांश ने बताया कि वह फार्मा व्यवसाय से जुड़े थे, लेकिन पत्नी की पढ़ाई की इच्छा के चलते उन्होंने अपना व्यवसाय बंद कर दिया और घर की जिम्मेदारियां संभालते हुए पत्नी को पढ़ाई करने के लिए उसका साथ दिया. इसके बाद, पत्नी ने बीएड की शिक्षा प्राप्त की और 2015 में इटावा जनपद में सहायक अध्यापिका के रूप में सरकारी नौकरी प्राप्त की.

"बेडौल" और "मेरे लायक" नहीं कहकर घर से भगाया
नौकरी मिलने के बाद, पत्नी छोटे बेटे को लेकर इटावा चली गई और ससुराल आना-जाना बंद कर दिया. शिवांश ने कहा कि जब भी वह अपनी पत्नी से मिलने गए, तो उन्होंने उसे "बेडौल" और "मेरे लायक नहीं" कहकर घर से भगा दिया.  शिवांश के मुताबिक, इस बीच पारिवारिक हस्तक्षेप के बावजूद संबंधों में सुधार नहीं हुआ. पत्नी ने बड़े बेटे की कस्टडी के लिए अदालत में आवेदन किया और शिवांश व उनके परिवार पर दहेज उत्पीड़न सहित कई अन्य मामले भी दर्ज करवाए. आखिरकार कई वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद, कोर्ट ने उनके तलाक को मंजूरी दे दी.

शिवांश के वकील अनूप शुक्ला ने बताया कि 2012 से ही दोनों अलग-अलग रह रहे थे. उन्होंने कहा, "जब भी शिवांश अपनी पत्नी से मिलने गए, तो उन्हें बेरोजगार कहकर भगा दिया गया. पत्नी की प्रताड़ना से परेशान होकर शिवांश ने तलाक की अर्जी दाखिल की. लेकिन सुनवाई के दौरान पत्नी एक बार भी कोर्ट में पेश नहीं हुईं, जिसके बाद कोर्ट ने तलाक मंजूर कर लिया."

इस तलाक ने कानपुर में एक प्रेम कहानी का दुखद अंत ला दिया है, जिसमें उम्मीदें और सपने टूट गए.

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