देवस्थानम् बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर चारों धामों में तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन दो साल से चल रहा है. तीर्थ पुरोहितों की मांग है कि देवस्थानम् बोर्ड को भंग किया जाए.
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हरेंद्र नेगी/रूद्रप्रयाग: देवस्थानम् बोर्ड के विरोध में बीते दो सालों से चारों धामों में चल रहा तीर्थपुरोहितों का धरना मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी केदारनाथ में जारी है. हालांकि मुख्यमंत्री की ओर से 30 अक्टूबर तक मामले को सुलझाने के आश्वासन के बाद तीर्थपुरोहितों ने आज होने वाली महारैली को स्थगित कर दिया. तीर्थ पुरोहितों का कहना है सरकार मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं करती तो दोबारा उग्र आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी.
दो साल से चल रहा है तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन
बता दें कि देवस्थानम् बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर चारों धामों में तीर्थ पुरोहितों का आंदोलन दो साल से चल रहा है. तीर्थ पुरोहितों की मांग है कि देवस्थानम् बोर्ड को भंग किया जाए. इस बोर्ड के गठन से तीर्थ पुरोहितों के हक-हकूकों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. केदारनाथ यात्रा पर घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी, होटल व्यवसायी जुड़े हैं और देवस्थानम् बोर्ड के गठन से मजूदरों और होटल व्यापारियों का इसका बुरा असर पड़ेगा.
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दोबारा उग्र आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी
उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने 30 अक्टूबर तक इसे भंग करने का फैसला नहीं लिया तो तीर्थपुरोहित आन्दोलन को और उग्र करेंगे. केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद आज होने वाली प्रस्तावित महारैली को स्थगित की गई है, लेकिन केदारनाथ में मांग पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा.
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