किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट में दावा किया है कि राज्य में इस समय कोरोना वॉयरस अपने चरम पर है. उन्होंने कहा कि अब इसकी तीव्रता में कमी आएगी.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट में दावा किया है कि राज्य में इस समय कोरोना वॉयरस अपने चरम पर है. उन्होंने कहा कि अब इसकी तीव्रता में कमी आएगी. डॉ. भट्ट की मानें तो कोरोना मरीजों की संख्या में थोड़ी बढ़ोत्तरी हो सकती है, लेकिन अब संक्रमण की दर रुकेगी और धीरे-धीरे कम होनी शुरू हो जाएगी.
गांवों के लिए बढ़ गया है खतरा
प्रोफेसर भट्ट ने कहा कि इस समय उत्तर प्रदेश गांवों के लिए ज्यादा खतरा है. क्योंकि बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों ने गांवों का रुख किया है. यूपी में हर दिन 200 से 250 कोरोना के नए मरीज आ रहे हैं और इसमें सबसे ज्यादा संख्या प्रवासी मजदूरों की है. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व की तुलना में भारत में कोरोना के संक्रमण की शक्ति काफी कम है. यूपी में भी संक्रमण शक्ति कम है.
एसिंप्टोमेटिक केस मिलना चिंताजनक
केजीएमयू वीसी ने कहा, 'यूपी में अभी तक केवल 7 हजार मरीज सामने आए हैं. अभी तक केवल ढ़ाई लाख मरीजों का ही परीक्षण किया गया है. उत्तर प्रदेश में इस पर शोध भी शुरू किया गया है. दरअसल हर वॉयरस की एक तीव्रता होती है और नोवेल कोरोना वायरस की भी संक्रमण शक्ति है, क्योंकि यह वायरस लगातार अपनी प्रवृति में बदलाव कर रहा है.
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यूपी कोरोना से लड़ने के लिए तैयार
केजीएमयू के कुलपति ने बताया कि यूपी में अभी तक 4 हजार कोरोना मरीज ठीक हो चुके हैं. अगर संक्रमण की दर बढ़ी तो सरकार ने 75 हजार आइसोलेशन बेड तैयार कर लिए हैं. एसिंप्टोमेटिक मरीजों की संख्या ज्यादा आ रही है जो खतरे का कारण बना हुआ है. करीब 60 से 80% एसिंप्टोमेटिक मरीज आ रहे हैं.
कोरोना वायरस पर यूपी में शोध जारी
उन्होंने कहा, 'कोरोना वायरस जो भारत में है उसके म्यूटेशन में लगातार बदलाव हो रहा है. केजीएमयू और एनबीआरआई ने इस पर शोध भी शुरू कर दिया है कि भारत में और उत्तर प्रदेश में नोवेल कोरोना वायरस का नेचर क्या है? अभी तक जो जानकारियां सामने आई हैं उसमें यह मालूम हुआ है कि इसके म्यूटेशन में बदलाव देखा जा रहा है. म्यूटेशन का मतलब है कि वायरस के डीएनए में लगातार बदलाव हो रहा है.'
कोरोना वायरस के म्यूटेशन में बदलाव
प्रोफेसर भट्ट ने कहा कि वायरस के म्यूटेशन में बदलाव की वजह से इसे कंट्रोल करने में ज्यादा दिक्कतें हो रही हैं और दवाई बनाने में भी सफलता हाथ नहीं लग रही है. कुलपति ने बताया कि अभी तक यही मालूम था कि यह गले के माध्यम से फेफड़ों पर हमला करता है और उसे मरीज की मौत हो जाती है, लेकिन अब यह स्टमक, हार्ट, किडनी सहित कई स्थानों पर अटैक कर रहा है और मल्टी ऑर्गन फेल होने से मरीजों की मौत हो रही है.
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वायरस संक्रमितों में लक्षण बदल रहे हैं
केजीएमयू कुलपति ने कहा, 'पहले इस वायरस से संक्रमित लोगों में खांसी आना, गले में दर्द और तेज बुखार के लक्षण दिख रहे थे. लेकिन अब मांसपेशियों में दर्द, डायरिया, स्वाद का जाना, महक खत्म होना और जोड़ों में दर्द सहित कई और लक्षण भी देखे गए हैं. इससे साफ हो रहा है कि कोरोना वायरस के लक्षण बदल रहे हैं.'
दुनिया के मुकाबले भारत में कम मौतें हुईं
उन्होंने कहा, 'देश और उत्तर प्रदेश में केवल 2 प्रतिशत कोरोना मरीजों को आईसीयू की जरूरत पड़ रही है और केवल 1 प्रतिशत मरीजों को ही वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है. यूपी में अभी तक केवल ढाई प्रतिशत कोरोना मरीजों की मौत हुई है. अभी तक जो आंकड़े सामने आए हैं उसमें यही ज्ञात हुआ कि रेस्पिरेटरी सिस्टम फेल होने के कारण मौत हुई है.'
कोरोना से मौत की वास्तविक वजह क्या है?
प्रोफेसर भट्ट ने कहा, 'लेकिन अब पूरे प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ विभाग मिलकर डेथ ऑडिट निकाल रहे हैं. इससे वास्तविक रूप से पता लगाया जा सकेगा कि कोविड-19 बीमारी से पीड़ित मरीज की मौत कैसे हुई, क्योंकि कई ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि किडनी, हार्ट और पाचन तंत्र में दिक्कत के कारण कोरोना मरीज की मौत हुई है.'
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