यात्री ट्रेन में दो रंग के डिब्बे देखने को मिलते हैं. एक डब्बा लाल रंग का होता है और दूसरा नीले रंग.
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नई दिल्ली: रेलगाड़ी ऐसी चीज है, जिसपर बैठकर हम अक्सर सफर करते हैं. खासकर भारतीयों के लिए रेल यात्रा अपने आप में एक उत्सव है. जहां संस्कृति और सफर का अद्भुत मिलन होता है. अगर भारतीय रेल की बात करें, तो इसमें कई किस्म के संकेतों का प्रयोग किया जाता है. जैसे रेड लाइट, ग्रीन लाइट और यलो लाइट का. कुछ का मतलब हम जानते हैं. कुछ के बारे में हम नहीं भी जानते हैं. जैसे ट्रेन के डिब्बों का रंग. हम अक्सर देखते हैं कि यात्री ट्रेन में दो रंग के डिब्बे देखने को मिलते हैं. एक डब्बा लाल रंग का होता है और दूसरा नीले रंग. क्या आप इस रंग का मतलब जानते हैं? कोई बात नहीं, हम आपको बताएंगे.
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नीले रंग वाले कोच ( Integral Coach Factory)
अक्सर ट्रेनों में नीले रंग वाले कोच देखने को मिलते हैं. इसको हम ICF कोच यानी Integral Coach Factory कोच कहते हैं. आईसीएफ कोच की स्पीड 70 से 140 किमी/घंटा तक होती है. इसका इस्तेमाल अक्सर मेल एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों में किया जाता है. इन सारे डब्बों का निर्माण तमिलनाडु में होता है. क्योंकि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई, तमिलनाडु में स्थित है. इसकी स्थापना 1952 में हुई थी.
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नीले डब्बों की खासियत है कि इन्हें बनाने में लोहे का इस्तेमाल किया जाता है. इस वजह से ये डब्बे भारी भी होते हैं. इसके रख-रखाव में ज्यादा खर्च भी होता है. वहीं, अगर बैठने की बात करें, तो सामान्य आरक्षण वाले डब्बे में 72 सीटें और एसी में 64 सीटें होती हैं. इन कोच में एयर ब्रेक का यूज किया जाता है. साथ ही साथ प्रत्येक 18 महीने में इनको ओवरहॉलिंग की जरूरत होती है.
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लाल रंग वाले कोच (Linke Hofmann Busch)
आजकल लाल रंग वाले कोचों की संख्या ज्यादा हो गई है. इन्हें हम LHB कोच यानी Linke Hofmann Busch कहते हैं. ये कोच साल 2000 में जर्मनी से भारत लाई गई थीं. इनका निर्माण कपूरथला, पंजाब में होता है. खास बात है कि इन डब्बों को बनाने के लिए स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए ये हल्के होते हैं.
वहीं, अगर खासियत की बात करें, तो इन्हें डिस्क ब्रेक के साथ इसे 200 किमी/घंटा के रफ्तार पर दौड़ाया जा सकता है. हालांकि, इसे अधिकतम 160 किमी/घंटा के स्पीड से ही चलाया जा रहा है. इसके रख-रखाव में कम खर्चा भी होता है. स्पीलरक्लास में 80 सीटें और एसी में 72 सीटें होते हैं. इनके अलावा अगर एक्सीडेंट हो जाये, तो एक ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं. क्योंकि इन डब्बों में Center Buffer Couling (CBC) सिस्टम होता है.
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बता दें, लाल रंग वाले कोच का इस्तेमाल ज्यादातर तेज ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस में ही किया जाता था. हालांकि, कुछ समय पहले सरकार ने जल्द से जल्द ICF कोच के स्थान पर LHB कोच को इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है. ऐसे में इस दिशा में तेजी के साथ काम भी हो रहा है. इसलिए अब आपको कई ट्रेन में लाल रंग के डिब्बे दिखने को मिलते हैं.
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