मुख्तार अंसारी पर योगी Vs पंजाब सरकार, क्यों बाहुबली डॉन को बचा रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह?
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मुख्तार अंसारी पर योगी Vs पंजाब सरकार, क्यों बाहुबली डॉन को बचा रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह?

और इतिहास गवाह है क्राइम की दुनिया के बड़े से बड़े गैंगस्टर भी उस वक्त खौफजदा हो जाते हैं जब सामने कानून का फंदा हो और सिस्टम का डंडा सिर पर पड़ने को तैयार हो. गैंगस्टर की फेहरिस्त में एक ऐसा ही नाम है यूपी के मुख्तार अंसारी का. जो यूपी सरकार से बचने की तमाम हथकंडे अपना रहा है.

मुख्तार अंसारी पर योगी Vs पंजाब सरकार, क्यों बाहुबली डॉन को बचा रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह?

नई दिल्ली: इतिहास गवाह है क्राइम की दुनिया के बड़े से बड़े गैंगस्टर भी उस वक्त खौफजदा हो जाते हैं जब सामने कानून का फंदा हो और सिस्टम का डंडा सिर पर पड़ने को तैयार हो. गैंगस्टर की फेहरिस्त में एक ऐसा ही नाम है यूपी के मुख्तार अंसारी का. जो यूपी सरकार से बचने की तमाम हथकंडे अपना रहा है. यूपी सरकार पंजाब से उसे उत्तर प्रदेश लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका पर आज भी सुनवाई होनी है. आपको बताते हैं कि आखिर क्या वजह से जिससे मुख्तार को लेकर यूपी और पंजाब सरकार आपस में लड़ रही हैं. 

  1. पहली बार 1988 में लगा हत्या का आरोप
  2. मुख्तार ने 1995 में राजनीति में रखा कदम
  3. गरीबों का नजर में बना रॉबिनहुड
  4. 2019 से पंजाब की रोपड़ जेल में बंद है मुख्तार अंसारी
  5. पंजाब और यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही केस

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ज्यादा साल नहीं बीते, मुख्तार अंसारी को जब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बांदा से पंजाब की रोपड़ जेल ले जाया गया था. मुख्तार को पंजाब में दर्ज रंगदारी के एक मामले में रोपड़ जेल लाया गया था. उसके बाद से ही उत्तर प्रदेश के मऊ के माफिया मुख्तार अंसारी को वापस लाने के लिए यूपी सरकार ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. ये भी जान लीजिए कि पंजाब में जहां सिर्फ एक मामले में मुख्तार के खिलाफ केस दर्ज है, वहीं यूपी में उसके खिलाफ दर्ज मुकदमों की लिस्ट लंबी-चौड़ी है. यूपी पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद रोपड़ जेल में बंद मुख्तार अंसारी को अब तक वापस यूपी नहीं लाया जा सका है.

एक वो दौर था
योगी राज में अपराधी डर के मारे कांप रहे हैं. 2017 मार्च में योगी के सत्ता पर काबिज होने से पहले मुख्तार अंसारी का कुनबा और वो खुद चौड़ा होकर खुलेआम ठाठ से रौब झाड़ता था. एक दौर वो भी था जब मुख्तार का कारवां निकलता था तो लाइन से 20 SUV गुजरती थीं. वो भी एक ही VIP नंबर 786 की. काफिला जहां से गुजरता था, वहां का ट्रैफिक थम जाता था. बॉडीगार्ड के बीच मुख्तार अंसारी की चाल-ढाल देखकर स्थानीय लोग भी अंसारी को दुआ सलाम करते थे.

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40 से ज्यादा मुकदमे हैं दर्ज
मुख्तार के खिलाफ मऊ, गाजीपुर और लखनऊ समेत कई थानों में जंघन्य अपराधों के कई मामले दर्ज हैं. 40 से ज्यादा मुकदमों का सामना करने वाला विधायक अंसारी पिछले 13 साल उत्तर प्रदेश की कई जेलों में रह चुका है. 9 जुलाई 2019 को मुन्ना बजरंगी नाम के अपराधी की बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई. मुन्ना बजरंगी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में आरोपी था. उस वक्त मुन्ना बजरंगी मुख्तार का खास शूटर माना जाता था. हालांकि बाद में दोनों के संबंध खराब हो गए थे. मुख्तार एक मामले में जेल में बंद था. मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद मुख्तार की जान को खतरा बताया गया और सुरक्षा की मांग की गई. लखनऊ और गाजीपुर में ये बातें भी चलती हैं कि मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद ही मुख्तार को पंजाब जेल में शिफ्ट करने का प्लान बनाया गया. 

मुख्तार अंसारी के परिवार का पॉलिटिकल कनेक्शन
मुख्तार के दादा कांग्रेस के प्रेसिडेंट रह चुके हैं. माफिया का भाई अफज़ल 4 बार कम्युनिस्ट पार्टी से MLA रह बना और एक बार समाजवादी पार्टी से. वहीं चाचा हामिद अंसारी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वीसी भी रह चुके हैं. वह भारत के उपराष्ट्रपति भी रह चुके हैं.

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मुख्तार को लाने के लिए लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची
मुख्तार को हासिल करने के लिए यूपी पुलिस को सुप्रीम कोर्ट तक का रुख करना पड़ा. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार पर ये तक आरोप लगाए थे कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में गंभीर अपराध दर्ज हैं और पंजाब सरकार एक गैंगस्टर का समर्थन कर रही है.

पंजाब की जेल में मुख्तार कैसे पहुंचा?
बांदा जेल के सीनियर सुप्रिटेंडेंट ने 22 जनवरी, 2019 को कथित तौर पर मुख्तार को पंजाब पुलिस को सौंप दिया. नियमों के मुताबिक ये गैर कानूनी प्रक्रिया थी. नियमानुसार धारा 276 (2) के तहत ही मुख्तार को यूपी से पंजाब भेजा जा सकता था. धारा के मुताबिक अगर सेकेंड क्लास के किसी मैजिस्ट्रेट की तरफ से कोई आदेश जारी होता है, तभी जेल अधिकारी आगे की कार्रवाई करेगा. आदेश की कॉपी पर चीफ ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट की मुहर भी अनिवार्य होती है, लेकिन मुख्तार को पंजाब पुलिस को सौंपे जाते वक्त इन नियमों का पालन क्यों नहीं किया गया और ऐसा ना करने पर क्यों आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस सवाल का जवाब भी आज तक नदारद है. तिकड़म लड़ाकर मास्टरमांइड मुख्तार यूपी की सीमा लांघ कर पंजाब पहुंचने में कामयाब कैसे हो गया?

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मुख्तार पर यूपी और पंजाब सरकार आमने-सामने
24 जनवरी 2019 को मोहाली के Judicial Magistrate ने वापस बांदा जेल भेजने के बजाए मुख्तार को पंजाब के रोपड़ जेल भेज दिया. तब से लेकर अब तक पंजाब सरकार जहां मुख्तार को यूपी जेल में ट्रांसफर को रोकने  के लिए अलग अगल दलील दे रही है वहीं यूपी सरकार मुख्तार को वापस लाने के लिए पंजाब सरकार पर गंभीर आरोप लगा रही है.

क्यों यूपी आने से बच रहा मुख्तार?
मुख्तार को पंजाब के रोपड़ जेल में भारी सुरक्षा घेरे में रखा गया है. उसका हश्र भी मुन्ना बजरंगी जैसा न हो जाए. साथ ही मुख्तार अंसारी को योगी सरकार की गुंडों के प्रति सख्ती भी समझ आ रही है. जिस तरह से योगी सरकार ने सूबे से माफियाराज को खत्म किया है. विकास दुबे, गिरधारी जैसे और कई भी अपराधी है जिनका एनकाउंटर किया गया. इसी डर से मुख्तार अंसारी यूपी नहीं आना चाह रहा है. इसमें पंजाब सरकार उसका पुरजोर सपोर्ट कर रही है. कृष्णानंद राय की पत्नी ने प्रियंका गांधी को एक लेटर भी लिखा था जिसमें उन्होंने मुख्तार को सजा दिलाने की अपील की थी. योगी सरकार उसे यूपी में लाकर सजा देना चाहती है और अपनी माफियाराज के खिलाफ छवि को बनाए रखना चाहती है. वहीं पंजाब सरकार राजनीतिक हित और फायदे को लेकर मुख्तार को संरक्षण दे रही है.

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