Dhauliganga River: चमोली आपदा: जानिए-धौलीगंगा नदी क्यों बन गई है इतनी खतरनाक?
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Dhauliganga River: चमोली आपदा: जानिए-धौलीगंगा नदी क्यों बन गई है इतनी खतरनाक?

यह घटना धौलीगंगा नदी में हुई है.  यह अलकनंदा की सहायक नदी है. 

Dhauliganga River: चमोली आपदा: जानिए-धौलीगंगा नदी क्यों बन गई है इतनी खतरनाक?

नई दिल्ली:  उत्तराखंड के चमोली से एक बड़ी घटना सामने आई है. ग्लेशियर के टूटने से तपोवन इलाके में धौलीगंगा नदी पर बांध टूट गया. इस बात की आशंका जताई जा रही है कि करीब 150 लोग बह गए हैं. बांध टूटने की वजह से ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट क्षतिग्रस्त हो गया है. घटना के बाद उत्तराखंड प्रशासन सक्रिय हो गया है. SDRF की टीम लोगों को बचाने में लगा हुआ है. 

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जानिए धौलीगंगा नदीं के  बारे में
यह घटना धौलीगंगा नदी में हुई है.  यह अलकनंदा की सहायक नदी है.  नदी गढ़वाल और तिब्बत के बीच नीति दर्रे से निकलती है. धौलीगंगा से कई छोटी नदियां आकर मिली है. दिक्कत ये है कि इस नदी से कई पानी के स्त्रोत और सोते जुड़े हुए हैं. पानी का स्तर बढ़ने से इन स्त्रोत में भी पानी अचनाक बढ़ गया. पानी के तेज प्रवाह में नदी के किनारे और पानी स्त्रोतों के किनारे से बसे कई गांवों के घर तबाह हो गए हैं. 

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आखिर उत्तराखंड में क्यों होती हैं ऐसी आपदाएं
उत्तराखंड में अक्सर में फटने की घटनाएं सामने आती रहती हैं. बात ये है कि उत्तराखंड में कई नदियां हैं और कई नदियों का स्त्रोत है. इन नदियों के किनारे गांव बसे हैं. ऐसे में जब भी भारी बारिश होती है या बादल फटते हैं, तो बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में इसका असर आम जनजीवन पर पड़ा है. 

लगातार क्यों बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं
जानकारों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन ऐसी घटनाओं के पीछे का सबसे का कारण है. मौसम चक्र बदल गया है. अचानक एक जगह बादल इकट्ठा हो जाते हैं और अधिक बारिश होने से बादल फटने जैसे हालात पैदा होते जाते हैं. बताया जाता है कि बांध की वजह से भारी में पानी इकट्ठा हो जाता है. पानी से वाष्प बनता है और इससे बड़ी तेजी से बादल बनते हैं. ऐसे में बादल फटने की घटना सामने आती है. 

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