Prayagraj Mahakumbh: संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ से पहले गंगा-यमुना कैसे साफ होगी यह सवाल गहराता जा रहा है. दरअसल, इस सवाल को गंभीरता से लेते हुए UP के मुख्य सचिव से NGT ने जवाब मांगा है.
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Prayagraj Mahakumbh: प्रयागराज/मोहम्मद गुफरान: प्रयागराज महाकुंभ के पहले गंगा-यमुना कैसे साफ होगी, यह सवाल और गहराता जा रहा है. इस सवाल को गंभीरता से लेते हुए NGT ने UP के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है. गंगा में प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने सख्त रुख अपनाया है. एनजीटी ने मुख्य सचिव यूपी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है. कमेटी में पर्यावरण मंत्रालय के सचिव के साथ ही जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के सचिव शामिल हुए. इस दौरान तय किया गया कि दो महीने के अंदर मुख्य सचिव यूपी की अध्यक्षता वाली इस कमेटी को इसकी रिपोर्ट एनजीटी में देनी होगी कि महाकुंभ से पहले गंगा और यमुना को कैसे प्रदूषण मुक्त करेगें. 29 नवंबर 2024 को मामले में अगली सुनवाई की जाएगी.
डीएम प्रयागराज की अगुवाई में कमेटी गठित की थी
अधिवक्ता सौरभ तिवारी व अन्य की तरफ से एनजीटी में याचिका दाखिल की गई है जिसमें कहा गया है कि गंगा और यमुना में गंदे नालों का पानी सीधे छोड़ा जा रहा है. गंदे नालों का पानी बगैर सोधित किए ही गंगा और यमुना में छोड़ने पर एनजीटी से रोक लगाए जाने की मांग भी की गई है. याची सौरभ तिवारी की अर्जी पर एनजीटी ने सुनवाई करते हुए सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यूपी सरकार के साथ ही डीएम प्रयागराज की अगुवाई में कमेटी गठित की थी. एनजीटी ने कमेटी से मामले में जांच कर रिपोर्ट तलब की थी. एनजीटी ने 1 जुलाई को पेश जांच रिपोर्ट पर बेहद तल्ख टिप्पणी की थी. एनजीटी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि प्रयागराज में गंगा व यमुना का जल पीना तो छोड़िए आचमन के लायक नहीं है.
"धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ तो न करें"
जिसके बाद 23 सितंबर को पेश जांच रिपोर्ट को लेकर फिर से एनजीटी ने असंतोष जाहिर करते हुए सरकारी वकीलों से मौखिक रूप से कहा है कि गंगा और यमुना का पानी न नहाने और न आचमन के लायक है. इस पर आप लोग हर जगह क्यों नहीं नोटिस चस्पा करते और क्यों नहीं अखबारों में प्रकाशित करा देते हैं कि प्रयागराज में गंगा और यमुना का पानी प्रदूषित है. आगे एनजीटी ने ये भी कहा कि कम से कम लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ तो न करें.
नगर निगम प्रयागराज को 129 करोड़ रुपये का जुर्माना
एनजीटी ने ये भी कहा कि पिछली सुनवाई 1 जुलाई को महाकुंभ के दौरान गंगा व यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एक्शन प्लान मांगा गया था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया है. दूसरी ओर एनजीटी के सामने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यूपी के क्षेत्रीय अधिकारी ने एक एफिडेविट दाखिल किया और कहा कि बगैर सोधित गंगा व यमुना में जल गिराने पर 9 अगस्त को नगर निगम प्रयागराज को क्षतिपूर्ति के तौर पर 129 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. हालाकि, लेकिन एनजीटी ने इस बारे में जब पूछा कि वसूली कितनी की गई तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास इस बारे में कोई जवाब नहीं था. एनजीटी चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सद्स्य अरुण त्यागी और विशेषज्ञ सद्स्य ए० सेंथिल वेल की तीन सदस्यीय बेंच में इस बारे में सुनवाई की जा रही है.
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