लखीमपुर खीरी के गांव वाले बन गए 'दशरथ मांझी', प्रशासन ने नहीं सुनी तो बना डाला ब्रिज
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लखीमपुर खीरी के गांव वाले बन गए 'दशरथ मांझी', प्रशासन ने नहीं सुनी तो बना डाला ब्रिज

 प्रशासन उनकी मांग पर ध्यान नहीं दे रहा था. ऐसे में गांव वालों ने चंदा इकट्ठा करने का तय किया. कुल 2 लाख रुपये में एक अस्थाई पुल बनाया गया. 

गोमती पर बना ब्रिज

दिलीप मिश्रा/लखीमपुर खीरी: दशरथ मांझी का नाम सुना होगा आपने. नहीं, तो नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म 'मांझी द माउंटेन मैन' देखी होगी. हो सकता है कहानी सुने हो कि बिहार के एक शख्स ने पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया था. ठीक ऐसी ही उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) से भी एक तस्वीर सामने आई है. इस तस्वीर में अनोखा कुछ नहीं है, लेकिन गांवों वालों के जीवन के लिए उतना ही उपयोगी है. दरअसल, गांव वालों ने मिलकर गोमती नदी पर लकड़ी का पुल बनाया है, जिससे करीब 23 किलोमीटर की दूरी कम हो गई. 

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2 लाख के खर्च से बनाया गया पुल
मोहम्मदी तहसील इलाके के करीब 20 गांव के लोगों को पुल की जरूरत थी. लेकिन प्रशासन उनकी मांग पर ध्यान नहीं दे रहा था. ऐसे में गांव वालों ने चंदा इकट्ठा करने का तय किया. कुल 2 लाख रुपये में एक अस्थाई पुल बनाया गया. पुल बनने के बाद अब 25 किलोमीटर की दूरी, सिर्फ 2 किलोमीटर में सिमट कर रह गई. अब लोग पुल के सहारे पैदल और साइकिल से सफर कर पा रहे हैं. हालांकि, कार या गाड़ी ले जाने के लिए उन्हें पहले जैसी लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी. 

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प्रशासन से नाराज गांव वाले 
गांव वालों का कहना है कि यह पुल सिर्फ गर्मी में ही काम आएगा. बरसात के तेज बहाव में ये बह जाएगा. ऐसे में ठीक बरसात से पहले इसे निकाल लिया जाएगा. वहीं, गांव वाले प्रशासन से नाराज हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों से लेकर के जिला प्रशासन के आला अधिकारियों तक लगातार गुहार लगाई है,लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ भी नहीं मिला है.

अधिकारी का कहना है कि भेजा जाएगा प्रस्ताव
 मामले में जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह का कहना है कि जिले में पुलों का निर्माण निरंतर किया जा रहा है. अगर ग्रामीणों की तरफ से मांग की गई है तो उसका प्रपोजल बनाकर शासन को भेजा जाएगा. स्थानीय जनता को राहत मिलेगी.

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