Azamgarh Lok Sabha seat: पूर्वांचल में वाराणसी के अलावा जिस दूसरी सीट की चर्चा सबसे ज्यादा है वह है आजमगढ़. इस हॉटसीट पर चुनावी रणभूमि सज चुकी है. बीजेपी, सपा और बसपा प्रत्याशी समेत कुल 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं.
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Azamgarh Lok Sabha seat: पूर्वांचल में वाराणसी के अलावा जिस दूसरी सीट की चर्चा सबसे ज्यादा है वह है आजमगढ़. इस हॉटसीट पर चुनावी रणभूमि सज चुकी है. बीजेपी, सपा और बसपा प्रत्याशी समेत कुल 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. 2022 उपचुनाव में यहां से भाजपा के टिकट पर दिनेश लाल यादव निरहुआ जीते थे. सपा और बीजेपी दोनों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है.
कौन-कौन उम्मीदवार
बीजेपी ने तीसरी बार दिनेश लाल यादव को आजमगढ़ से चुनावी मैदान में उतारा है. वह 2022 उपचुनाव में यहां से सांसद बने थे. जबकि 2019 में उनको हार का सामना करना पड़ा था. निरहुआ भोजपुरी इंडस्ट्री के जाने-माने अभिनेता और गायक हैं. सपा ने यहां से धर्मेंद्र यादव को फिर उतारा है. वह 2004 में मैनपुरी, 2009 और 2014 में बदायूं से सांसद रह चुके हैं. 2022 में आजमगढ़ उपचुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा था. बसपा से यहां से मशहूद अहमद मैदान में हैं. वह छात्र राजनीति से जुड़े रहे. इसके बाद नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी और कांग्रेस में भी रहा. हाल ही में उन्होंने बसपा का दामन थामा था.
एम-वाई फैक्टर निर्णायक
आजमगढ़ सीट पर एम-वाई फैक्टर निर्णायक भूमिका निभाता है. यहां सबसे ज्यादा दलित वोटर 28 फीसदी, 17 प्रतिशत यादव और 15 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं. सपा ने यादव-मुस्लिम वोटरों को एकजुट रखने के लिए यहां से धर्मेंद्र यादव को उतारा है. बीते चुनाव में सपा की हार का कारण बने बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली अब सपा के पाले में हैं. उनकों सपा ने एमएलसी बनाया है. बसपा ने भीम राजभर का टिकट काटकर मशहूद अहमद को मैदान में उतारा है.
सीट पर मतदाता
आजमगढ़ लोकसभा सीट में कुल 5 विधानसभा शामिल हैं, जिनमें गोपालपुर, मेंहनगर, आजमगढ़ सदर, मुबारकपुर, सगड़ी विधानसभा शामिल है. यहां कुल वोटर करीब 18 लाख 49 हजार हैं. इनमें पुरुष मतदात 9.78 लाख और 8.70 लाख महिला वोटर हैं. आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 25 मई को वोट डाले जाएंगे. सपा के सामने आजमगढ़ के गढ़ को बचाने की चुनौती है तो वहीं बीजेपी उपचुनाव में मिली जीत को बरकरार रखना चाहेगी.
तीन पूर्व सीएम को पहुंचाया संसद
आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के वोटरों ने यहां से उत्तर प्रदेश के तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को लोकसभा पहुंचाया है. इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी से 1977 में रामनरेश यादव सांसद बने. हालांकि उन्होंने एक साल के भीतर ही इस्तीफा दे दिया और सीएम की कुर्सी संभाल ली. 2014 में सपा संस्थापक और संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव और 2019 में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव यहां से जीते थे.
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