UP Lok Sabha Chunav 2024: हरदोई लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा. बीजेपी ने यहां से सिटिंग सांसद जय प्रकाश रावत, सपा से पूर्व सांसद ऊषा वर्मा मैदान में हैं. बसपा ने भीम राव अंबेडकर को प्रत्याशी बनाया है.
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UP Lok Sabha Chunav 2024: हरदोई लोकसभा सीट पर चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा. इससे पहले नेता वोटरों को पाले में लाने के लिए रैली और जनसभाओं का सहारा ले रहे हैं. बीजेपी ने यहां से सिटिंग सांसद जय प्रकाश रावत को फिर टिकट दिया है तो सपा से पूर्व सांसद ऊषा वर्मा मैदान में हैं. बसपा ने भीम राव अंबेडकर को प्रत्याशी बनाया है.
2019 में भी आमने-सामने थे जेपी-ऊषा
2019 लोकसभा चुनाव में भी मुख्य मुकाबला बीजेपी के जयप्रकाश रावत और सपा की ऊषा वर्मा के बीच में हुआ था. तब जेपी रावत करीब 1 लाख 32 हजार वोटों से जीते थे. सपा प्रत्याशी को 4 लाख 35 हजार और बीजेपी प्रत्याशी जय प्रकाश रावत को 5 लाख 68 हजार वोट मिले थे जबकि तीसरे नंबर पर कांग्रेस के वीरेंद्र कुमार रहे. अब देखना होगा कि जेपी रावत जीत को बरकरार रख पाएंगे या ऊषा वर्मा हार का बदला लेंगी या भीम राव अंबेडकर इतिहास बनाएंगे.
सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा तीन बार रहीं सांसद
सपा उम्मीदवार ऊषा वर्मा हरदोई लोकसभा सीट से 3 बार सांसद रह चुकी हैं. वह अपने ससुर स्व. परमाईलाल की राजनीतिक विरासत को संभाल रही हैं. पहली बार वह 1998 में सांसद बनीं, इसके बाद 2004 और 2009 में यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं. हालांकि मोदी लहर में 2014 और 2019 में उनको हार का सामना करना पड़ा था.
भरोसेमंद नेताओं में गिनती
ऊषा वर्मा की गिनती यादव परिवार के भरोसमंद नेताओं में होती है. वह संघर्ष के दिनों से सपा के साथ हैं. मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री रहते उनकी गिनती खास मंत्रियों में होती थी. 2004 में सपा ने उनको एससी एसटी के कल्याण समिति की सदस्य बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी.मुलायम सिंह उनको बहू कहकर बुलाते थे. कहा जाता है कि उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को 1 वोट से गिराने में सपा की मदद की थी.
बीजेपी प्रत्याशी जेपी रावत पांचवीं बार मैदान में
जय प्रकाश रावत का जिले की सियासत में बड़ा नाम रहा है. वह अब तक चार बार सांसद रह चुके हैं और पांचवी बार मैदान में उतरे हैं. वह साल 1991 और 1996 में बीजेपी से चुनाव जीते. 1999 में लोकतांत्रिक कांग्रेस से लड़कर जीत हासिल की. 2019 में भाजपा से फिर सांसद बने. अगर वह यहां से पांचवीं बार जीत दर्ज करने में कामयाब रहते हैं तो यह रिकॉर्ड होगा.
कौन हैं बसपा प्रत्याशी
सपा से गठबंधन के चलते बसपा ने पिछला चुनाव नहीं लड़ा था. इस बार कोई बड़ा चेहरा न देख बसपा ने इटावा से एमएलसी भीमराव अंबेडकर को प्रत्याशी बनाया है. आजादी के बाद अब तक बसपा कभी भी हरदोई सीट नहीं जीत पाई है. भीमराव अंबेडकर को जिताने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती जल्द ही जिले में रैली करने वाली हैं.
सभी विधानसभा सीटें बीजेपी के पास
हरदोई लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा ( शाहाबाद, सांडी, हरदोई, गोपामऊ, सवायजपुर) सीटें हैं. सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. मौजूदा समय में जिले से दो विधायक ( रजनी तिवारी और नितिन अग्रवाल) योगी सरकार में मंत्री हैं. हरदोई लोकसभा सीट आजादी के बाद से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है.
जातीय समीकरण
हरदोई लोकसभा सीट पर क्षत्रिय, वैश्य, कुर्मी और ब्राह्मण वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. एससी मतदाताओं की संख्या करीब 31 फीसदी से ज्यादा है, इसके अलावा 13 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं.