मिर्जापुर के रास्ते संसद पहुंची थीं फूलन, क्या अनुप्रिया की हैट्रिक को रोकेगी रमेश चंद्र की साइकिल
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मिर्जापुर के रास्ते संसद पहुंची थीं फूलन, क्या अनुप्रिया की हैट्रिक को रोकेगी रमेश चंद्र की साइकिल

Mirzapur Lok Sabha Seat: इस बार उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर लोकसभा सीट जातीय चक्रव्यूह में फंसती हुई नजर आ रही है. मिर्जापुर के लोकसभा इतिहास में तीन बार चुनाव में कोई भी उम्मीदवार जीत नहीं दर्ज कर सका है.कुछ सांसदों ने दो बार चुनाव  जीता, लेकिन तीन बार जीत दर्ज करके रिकॉर्ड नहीं बना सके.

Mirzapur lok sabha Seat 2024

Mirzapur Lok Sabha Seat: मिर्जापुर लोकसभा सीट पर इस बार एनडीए (NDA) के अलावा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने जातीय समीकरण को देखते हुए अपने कैंडीडेट को उतारा है. मिर्जापुर में पटेल, बिंद और ब्राह्मण जाति का प्रभुत्व लोकसभा सीट पर है. इस बार तीनों प्रमुख जातियों के उम्मीदवार चुनावी मैदान में है. बीजेपी से टिकट कटने के बाद भदोही के मौजूदा सांसद रमेश बिंद को इस सीट से उतार सपा ने अनुप्रिया के विजय रथ को रोकने की भरपूर कोशिश की है. रमेश चंद्र बिंद  मल्लाह-यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ-साथ ओबीसी और दलित वोटों को भी साधने की कवायद में है. बसपा ने अगड़ी जाति को साधने के लिए ब्राह्मण चेहरे मनीष तिवारी को उतारा है.

आखिरी चरण में मतदान 
मिर्जापुर सीट पर लोकसभा चुनाव के सातवें और आखिरी चरण के तहत, 01 जून को मतदान होगा. 

अनुप्रिया के सामने रमेश चंद बिंद और मनीष
मिर्जापुर जिले की सियासत में 2014 में अनुप्रिया पटेल की एंट्री हुई.  एनडीए गठबंधन से पहली बार चुनाव में उन्हें जीत मिली.  मोदी कैबिनेट में भी जगह पाई. अनुप्रिया 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में दोबारा एनडीए गठबंधन से चुनाव जीता और सांसद बनी. 10 सालों तक लगातार सांसद बने रहने के बाद तीसरी बार चुनाव है.  अगर वो हैट्रिक लगाने में कामयाब होती है तो हैट्रिक लगाने वाली पहली सांसद होगी.  भाजपा से टिकट कटने के बाद भदोही के मौजूदा सांसद रमेश बिंद को सपा ने मिर्जापुर से उतार दिया है. बसपा ने दलित-ब्राह्मण केमिस्ट्री बनाने के लिए मनीष तिवारी को उतारकर अनुप्रिया को घेरने की कोशिश की है.

पटेल,ब्राह्मण और बिंद मतदाता कर सकते हैं खेला
मिर्जापुर जिले में सबसे ज्यादा पटेल मतदाता है. पटेल के बाद ब्राह्मण और बिंद मतदाता आते हैं. चुनावी मैदान में तीनों जातियों से आने वाले उम्मीदवार है. इसलिए मिर्जापुर की लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है. भदोही से 2009 में अलग होने के बाद यह कुर्मी बहुल हो गई. 

अनुप्रिया की राह नहीं आसान
मिर्जापुर लोकसभा सीट पर बीजेपी की सहयोगी अपना दल सोनेलाल का वर्चस्व माना जाता है. अपना दल (सोनेलाल) सुप्रीमो केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल इस बार मिर्जापुर से हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं. माना जा रहा है कि इस बार अनुप्रिया की जीत उतनी आसान नहीं, जितनी पहले के चुनावों में थी. राजा भैया पर दिया गया बयान भी भारी पड़ सकता है.

 जातीय समीकरण
2011 की जनगणना के मुताबिक, मिर्जापुर की जनसंख्या करीब 25 लाख थी. मिर्जापुर सामान्य सीट है. तकरीबन 19 लाख मतदाताओं वाली मीरजापुर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण को तो देखें तो यहां लगभग 22 फीसदी वंचित समाज के अलावा पिछड़े वर्ग में कुर्मी-पटेल बिरादरी का दबदबा है.  बिंद, मल्लाह, मौर्य की जनसख्या भी ठीक है. यादव, कुशवाहा, राजभर, विश्वकर्मा, चौरसिया, बारी आदि जातियां के लोग भी चुनावी नतीजों पर कुछ हद तक असर डालते हैं. बात करें सवर्णों की तो यहां पर सर्वाधिक ब्राह्मण, ठाकुरों और वैश्यों की संख्या है.

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