Lok Sabha Election 2024: वरुण गांधी ने किया अगले कदम का ऐलान, पीलीभीत लोकसभा सीट से बीजेपी ने नहीं दिया टिकट
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Lok Sabha Election 2024: वरुण गांधी ने किया अगले कदम का ऐलान, पीलीभीत लोकसभा सीट से बीजेपी ने नहीं दिया टिकट

Pilibhit Loksabha Seat: बीजेपी ने पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है. इसके बाद से अटकलें लगाई जा रही थी कि क्या वरुण गांधी निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे या किसी दल का दामन थामेंगे. वरुण गांधी को ओर से जारी किए गए बयान ने इन सभी अटकटों पर विराम लगा दिया है.....

 

Lok Sabha Election 2024

Pilibhit: उत्तर प्रदेश की पीलीभीत लोकसभा सीट से बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट काटते हुए जितिन प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है. इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वरुण गांधी निर्दलीय ही चुनाव लड़ेगें. यह भी कहा जा रहा था कि वो इसको लेकर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. हालांकि इसको लेकर स्थिति साफ हो गई है. वरुण गांधी चुनाव नहीं लड़ेंगे. वरुण की तरफ से उनके निजी सचिव ने बयान जारी किया है. पीलीभीत से टिकट कटने के बाद वरुण को लेकर काफी चर्चा थी की वो किसी पार्टी अथवा निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ सकते है,  लेकिन वरुण गांधी की तरफ से साफ कर दिया गया है वो अब चुनाव नहीं लड़ेंगे और सुल्तानपुर में अपनी मां और बीजेपी प्रत्याशी मेनका गांधी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे.  

अटकलें
ऐसा माना जा रहा था कि अगर वरुण गांधी कांग्रेस का ऑफर स्वीकार कर पार्टी में जाते हैं  तो गांधी परिवार के बीच सालों से जारी सियासी दुश्मनी खत्म हो जाएगी. चचेरे भाई राहुल गांधी और वरुण गांधी फिर एक बार सियासी तौर पर एक साथ नजर आएंगे. दरअसल, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने वरुण गांधी को कांग्रेस ज्वॉइन करने का ऑफर दिया था. अधीर रंजन ने राहुल गांधी के चचेरे भाई वरुण गांधी की तारीफ में कसीदे भी पढ़े.सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वो आए तो हमें खुशी होगी. गौरतलब है कि अधीर रंजन चौधरी राहुल गांधी और सोनिया गांधी के करीबी माने जाते हैं.

वरुण गांधी 2004 में हुए बीजेपी में शामिल
वरुण गांधी 2004 में बीजेपी में शामिल हुए और 2009 में पहली बार सांसद भी बने.साल 2013 में वरुण गांधी को भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और इसी साल पार्टी ने उन्हें पश्चिम बंगाल में पार्टी का प्रभारी भी बनाया. ये वो वक्त था जब यूपी की सियासत और भाजपा में वरुण का नाम प्रमुख नेताओं में गिना जाता था. लेकिन पार्टी और सरकार के खिलाफ उनकी तरफ से दिए गए बयानों ने उनकी स्थिति कमजोर कर दी और पिछले 10 सालों से पार्टी ने उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई.

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