indian politcs: बीजेपी के इन 5 नेताओं को छात्र जीवन में ही पता था कि इसका जीवन राजनीति के इर्दगिर्द ही चलने वाला है. इन्होंने राजनीति में अपनी शुरुआत छात्र जीवन से ही कर दी थी.
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indian politcs: भारत की राजनीति को अगर महसूस किया जाए तो इससे रोचक विषय दूसरा नहीं हो सकता है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें रुचि लेने वाले लोग अपने छात्र जीवन से ही उतर आते हैं और बड़े ही चाव से राजनीति करते हैं. देश में ऐसे कई नेता हुए जो कम उम्र में ही राजनीतिक कूद पड़े और आगे चलकर मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिया होकर अलग-अलग तरीके से देश की बागडोर अपने हाथों में ली. ऐसे पांच नेताओं के बारे में जानेंगे जिन्होंने छात्र जीवन में विलक्षण नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया. छात्र राजनीति से सियासी शिखर पर पहुंचे वाले नेताओं के बारे में आइए जानते हैं. इस लिस्ट में हमने देश के मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम मुलायम सिंह, यूपी के पूर्व सीएम और देश पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह हैं, और इस लिस्ट में लोकप्रिय नेता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम शामिल है.
राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) बीजेपी के दमदार और वरीष्ठ नेताओं में शामिल हैं. आज के समय में देश के रक्षा मंत्री हैं. साल 1964 में राजनाथ सिंह 13 साल के थे और तब से राजनीतिक जीवन में कूद पड़े थे. पहले के सालों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और फिर साल 1969 में छात्र संगठन एबीवीपी की गोरखपुर इकाई के सचिव के तौर पर उन्होंने कमान संभाली. फिर कभी उनकी वापसी नहीं हुई और आज वह राष्ट्रीय राजनीति का मुख्या हिस्सा हैं. 10 जुलाई 1951 को यूपी के चंदौली जिले में पैदा हुए राजनाथ सिंह गोरखपुर से भौतिकी में एमएससी किया है. 1971 में मिर्जापुर में केबी पोस्ट ग्रेजुएट कर डिग्री कॉलेज में लेक्चरार के तौर पर काम किया.
मुलायम सिंह यादव
समाजवादी पार्टी के नेता और संरक्षक के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मुलायम सिंह यादव छात्र जीवन से ही युवाओं में जोश भरते हुए छात्र राजनीति से जुड़ गए. उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में आने वाले सैफई गांव में मुलायम सिंह यादव का जन्म एक किसान परिवार में 22 नवंबर 1939 को हुआ. यादव शुरुआत से ही छात्र राजनीति में एक्टिव थे. राजनीति शास्त्र में डिग्री हासिल की और इंटर कॉलेज में कुछ समय के लिए उन्होंने पढ़ाया भी. साल 1967 में पहली बार वो जसवंत नगर सीट से विधायकी जीत गए. 1975 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने जब आपातकाल देश में लगा दिया तब मुलायम सिंह यादव ने कड़ा विरोध किया. साल 1977 में आपातकाल खत्म हुआ और यादव लोकदल की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रेसिडेंट बना दिए गए. सियासत की नब्ज जानने में उनका को सानी था. साल 1982 में यूपी विधान परिषद के लिए चुने गए. तब से वर्ष 1985 तक मुलायम सिंह यादव उच्च सदन में विपक्ष के नेता भी रहे.
वीपी सिंह
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके थे. वीपी सिंह ने छात्र जीवन में ही राजनीति में कदम रखा दिया. वीपी सिंह ने शुरुआती पढ़ाई करने के बाद साल 1947 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उदय प्रताप कॉलेज में नामांकन लिया. वीपी सिंह ने छात्र राजनीति में उन्होंने कदम रखा व इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के उपाध्यक्ष भी बने. कॉलेज के दिनों में आंदोलनों में सक्रिय हुए और 1957 में जब भूदान आंदोलन चल रहा था तब वीपी सिंह की अगुआई में ही युवा जुट गए. तब राजनीतिक पंडिंतों को आभास हो गया था कि भविष्य का बड़ा नेता उभर रहा है. अपनी जमीन उन्होंने इसी आंदोलन में दान कर दिया था. इस दौरान वो कांग्रेस में आज चुके थे और उत्तर प्रदेश की राजनीति के ताकतवर नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई. साल 1980 में यूपी के मुख्यमंत्री पद पर बैठे.
चंद्रशेखर
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर (ex pm Chandrashekhar) 1 जुलाई 1927 को यूपी के बलिया में जन्में. वो एक किसान परिवार में जन्में थे. चंद्रशेखर का राजनीतिक यात्रा छात्र राजनीति से ही शुरू हुआ. बचपन से ही उनका राजनीति की ओर झुकाव था. चंद्रशेखर की शिक्षा यूपी के इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई है. साल 1950 से 1951 तक राजनीति विज्ञान से उन्होंने मास्टर डिग्री हासिल कीस फिर समाजवादी आंदोलन से जुड़े. आगे चलकर उन्होंने देश के प्रधानमंत्री पद के रूप में देश की कमान संभाली.
अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के लोकप्रिय नेता और प्रधानमंत्री रहे, कानपुर से अटलजी का जुड़ाव रहा. अपने छात्र जीवन को उन्होंने यहीं जिया और राजनीति का गुर भी सीखा. कानपुर के डीएवी कॉलेज से अटल जी ने राजनीति शास्त्र से मास्टर ऑफ आर्ट (एमए) की डिग्री प्राप्त की और पढ़ाई के दौरान ही छात्र राजनीति में रुचि लेने लगे. तब किसी को ये अनुमान भी नहीं था कि वे साधारण से छात्र जो राजनीति के दांव पेंच सीख रहा है एक दिन देश के प्रधानमंत्री के रूप में जनता का प्यार बटोरेंगे.