Loksabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मुश्किलें अपने नेताओं के साथ ही सहयोगी दल भी बढ़ाते नजर आ रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अपना दल एस की पल्लवी पटेल की भी नाराजगी सामने आई है.
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Loksabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. एक तरफ राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी सपा का साथ छोड़कर बीजेपी के पाले में चले गए हैं तो अपना दल (एस) ने भी राज्यसभा चुनाव में सपा को वोट न देने का ऐलान कर झटका दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया. जिसकी वजह राज्यसभा टिकट न दिया जाना बताया जा रहा है. वहीं, कांग्रेस के साथ भी सीटों को लेकर कोई फाइनल समझौता नहीं हो सका है.
बीते चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो समाजवादी पार्टी को गठबंधन के सहयोगी रास आते नजर नहीं आए हैं. 2017 विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस साथ चुनाव लड़े लेकिन नतीजे हक में नहीं आए. इसके बाद दोनों दलों की राहें जुदा हो गईं. 2019 लोकसभा चुनाव सपा ने बसपा के साथ मिलकर लड़ा लेकिन रिजल्ट के बाद बसपा ने किनारा कर लिया. वहीं 2019 और 2023 में गठबंधन की साथी रही रालोद भी अब पाला बदलकर बीजेपी के साथ खड़ी है.
अपना दल (कमेरावादी) ने भी दिया झटका
कृष्णा पटेल की पार्टी अपना दल (कमेरावादी) भी राज्यसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी पर हमला बोल रही है. राज्यसभा चुनाव में सपा प्रत्याशियों को लेकर पल्लवी पटेल ने नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि आप दलित ,मुसलमान और पिछड़ा का वोट लेते है तो ईमानदारी से प्रतिनिधितत्व दीजिये. जमीन तौर पर पीडिए को दिखाना होगा. इसके साथ ही राज्यसभा में सपा को समर्थन नहीं देने की बात कही. सपा से गठबंधन को लेकर कहा कि इसका फैसला मेरी मां (कृष्णा पटेल) करेंगीं. हमारी लड़ाई मुद्दों की है.
पूर्व नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन कर चिट्ठी लिखी है. सपा नेता ने कहा कि आप जानते हैं और आप के माध्यम से हम सभी जानते हैं कि डबल इंजन की सरकार का विश्वास संविधान सम्मत शासन में नहीं है. यह सरकार पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक और सवर्ण समाज के गरीबों का हक छीनकर अपने कुछ उद्यमी मित्रों और उनके हित को ही देश हित मानने वाले सामन्ती सोच के लोगों को लगतार देती जा रही है.
इसके अलावा कई छोटे दलों का भी सपा के साथ मोहभंग होता रहा है. ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी 2022 विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़ी थी लेकिन इसके बाद राजभर ने फिर से बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया. इसमें महान दल भी शामिल है. महान दल प्रमुख 2022 में अखिलेश के साथ थे, प्रचार भी किया लेकिन सपा की हार बाद वह अलग हो गए. हालांकि मध्यप्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में सपा और महान दल साथ आए, लेकिन यूपी में दोनों साथ रहेंगे या नहीं, इसको लेकर चीजें साफ नहीं हैं.
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कांग्रेस से अटकी बात
लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त बाकी नहीं रह गया है. सपा ने कांग्रेस को यूपी की 11 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था. लेकिन कांग्रेस इस पर राजी नहीं है. खबरें हैं कि कांग्रेस प्रदेश की 20 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहती है. दोनों दलों के नेताओं के बीच बातचीत की बात कही जा रही है लेकिन सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर दोनों पार्टियों के बीच क्या सहमति बनी है, इसकी कोई जानकारी सामने नहीं आई है.
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बीजेपी का बढ़ा कुनबा
वहीं, सत्तारूढ़ बीजेपी का कुनबा लोकसभा चुनाव से पहले बढ़ा है. ओपी राजभर की सुभासपा, जयंत चौधरी की रालोद बीजेपी के साथ है.वहीं बीजेपी के साथ अपना दल (एस), निषाद पार्टी जैसे कई दल सहयोगी हैं.