सुनीता गांधी गरीब बच्चों को पांच साल से पढ़ा रही हैं. महज 30 घंटों में बच्चों को साक्षर बनाती हैं. बच्चों को साक्षर करने का मॉडल देश के बाकी शहरों में भी शुरू होगा.
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लखनऊ: आजकल की भागदौड़ भरी जिदगी के बीच पैसा कमाना ही लोगों के लिए लक्ष्य बन चुका है. काम और नौकरी को लेकर सुबह से लेकर चली आपा-धापी देर रात तक चलती है. ऐसे दौर में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो रुपयों के पीछे न भागकर दूसरों के लिए भी जीते हैं. वो भी निस्वार्थ भाव से. ऐसी ही एक मिशाल हैं सुनीता गांधी, जो बच्चों को पांच साल से पढ़ा रही हैं. उनके सामने बच्चे जरूरी ज्ञान हासिल कर लेते हैं.
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लखनऊ की रहने वाली सुनीता गांधी पेशे से एक शिक्षाविद हैं. वह यूपी के ऐसे बच्चों को पढ़ा रही हैं जो स्कूल नहीं जा सकते हैं या जिनके पास पढ़ने के लिए पैसे नहीं हैं. उनके लिए वो और उनकी टीम पढ़ाती है. उनका पढ़ाने का तरीका इतना अलग होता है कि बच्चे घंटों में ही बहुत कुछ सीख जाते हैं. सुनीता गांधी का ग्लोबल ड्रीमशाला पूरी तरह से वॉलंटियर्स चलाते हैं.
महज 30 घंटों में बच्चों को बनाती हैं साक्षर
आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि सुनीता केवल 30 घंटों में बच्चों को साक्षर बनाने के लिए काम कर रही हैं. जी हां 30 घंटों में. बच्चों को पढा़ने के लिए वो फीस नहीं लेती है. उनका 30 घंटों में बच्चों को साक्षर करने का मॉडल देश के बाकी शहरों में शुरू करने का है.
20 लाख बच्चों को साक्षर बनाएंगे
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि वो अगले साल के आखिरी तक इसे 20 राज्यों में शुरू करने की उम्मीद जता रही हैं. उनका कहना है कि हम ऐसे 20 लाख बच्चों को साक्षर बनाएंगे जो स्कूल नहीं जा सकते.
साधारण सिद्धांतों पर होती है पढ़ाई
बच्चों को 30 घंटे में साक्षर बनाने के लिए वो कैसे काम करती है, कैसे बच्चों को 30 घंटे में पढ़ाती हैं. इस पर सुनीता का कहना है कि पढ़ाई साधारण सिद्धांत पर आधारित होती है. बच्चों को उनके हिसाब से पढ़ाएं. बच्चों से पूछें की वो क्या जानते है और उसी को लेकर काम शुरू करें. सभी बच्चों का आईक्यू लेवल अलग होता है. सभी के लिए एक समान संरचना लागू नहीं होती है.
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बच्चे को समझें और उसी दिशा में काम करें
बच्चे को समझें और उसी के हिसाब से उनको साक्षर बनाने की दिशा में काम करें. बच्चे तो तस्वीरों के जरिए भी सीखते हैं. बच्चों को उन चीजों को बताने के बजाए उनके सवालों के जवाब बताते हैं और उनको रिपीट करते हैं.
पढ़ाने के लिए किया जाता है टूलकिट का प्रयोग
बच्चों के लिए टूलकिट का इस्तेमाल किया जाता है. इस टूलकिट में सिलेबस से रिलेटेड तस्वीरों का कलेक्शन है. इस टूलकिट में 30 चैप्टर हैं. इसमें बहुत सी सामग्री है जो बच्चों को पढ़ाने के दौरान काफी उपयोगी साबित होती है.
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