मुख्यमंत्री ने कहा कि इलेक्शन कमीशन की गाइडलाइन पुरानी है. तब कोरोना नहीं था. इस संबंध में नए सिरे से सहानुभूति पूर्वक विचार करने की आवश्यकता है.
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पवन सेंगर/लखनऊ: उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव के दौरान ड्यूटी में लगे शिक्षकों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि चुनावी ड्यूटी में तैनात सिर्फ 3 शिक्षकों की मौत हुई है. वहीं शिक्षक संघ का कहना है कि 1600 से ज्यादा शिक्षकों की मौत चुनावी ड्यूटी के दौरान हुई है. अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इस मामले का संज्ञान लिया है.
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सीएम योगी ने कहा कि हर एक मौत दुखद है. राज्य सरकार की संवेदनाएं प्रत्येक कर्मचारी और उसके परिजनों के साथ हैं. चुनावी ड्यूटी में जिन शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों, रोजगार सेवकों, पुलिसकर्मियों की मृत्यु हुई वह बहुत दुखद है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इलेक्शन कमीशन की गाइडलाइन पुरानी है. तब कोरोना नहीं था. इस संबंध में नए सिरे से सहानुभूति पूर्वक विचार करने की आवश्यकता है.
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उन्होंने मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव पंचायती राज को निर्देश दिया है कि वे राज्य निर्वाचन आयोग से संवाद कर ऐसे हर कर्मचारी के परिवार को आर्थिक सहायता और नौकरी दिलाएं, जिनकी चुनाव ड्यूटी के दौरान मौत हुई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज यूपी राज्य निर्वाचन आयोग से गाइडलाइन संशोधन का अनुरोध करें.
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उन्होंने कहा कि ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों के एक निश्चित समय सीमा में कोरोना संक्रमित होने और उनके निधन की स्थिति को भी राज्य निर्वाचन आयोग अपनी गाइडलाइन में शामिल करने पर विचार करे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी सरकार अपने सभी कर्मचारियों को आवश्यक सुविधाएं देने के लिए तत्पर है.
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इससे पहले यूपी बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया था कि राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक चुनावी ड्यूटी मतदान, मतगणना, मतगणना संबंधी प्रशिक्षण और इस कार्य के लिए कर्मचारी के निवास स्थान से ड्यूटी स्थल तक पहुंचने व ड्यूटी समाप्त कर निवास स्थल तक पहुंचने की अवधि तक मान्य है. इस अवधि में किसी भी कारण से हुई मृत्यु की दशा में अनुग्रह राशि दी जाएगी.
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इस पर शिक्षक संघ ने सवाल उठाया था कि यदि चुनाव में ड्यूटी के बाद घर लौटने पर कर्मचारी की कोरोना संक्रमण से मौत होती है तो क्या यह नहीं माना जाना चाहिए कि वह चुनाव के दौरान संक्रमित हुआ? शिक्षक संघ ने कहा था कि राज्य सरकार का यह रवैया गैर जिम्मेदाराना होने के साथ संवेदनहीनता को दर्शाता है. यह वास्तविकता से परे है.
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