भावुक होते हुए डीएम ने कहा कि कहां खो गई है हमारी जिम्मेदारी ?. आप उंगली उठाकर बताइए, कोई परिवार छूटा है इससे. मैं खुद भी संक्रमित था. मेरा पूरा परिवार प्रभावित हुआ है.
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अमित त्रिपाठी/गोरखपुर: कोरोना की तीसरी लहर की चिंता अधिकारियों के माथे पर साफ दिखाई दे रही है. यही वजह है कि इससे निपटने के लिए अधिकारियों ने युद्ध स्तर पर कमर कस ली है. समितियों के साथ बैठक कर अधिकारी उन्हें दिशा-निर्देश दे रहे हैं.
कोरोना की दूसरी लहर के पीक के दौरान बेड मांगने पर तीमारदार को फटकार लगाने का ऑडियो वायरल होने से चर्चा में आए गोरखपुर के डीएम के. विजयेन्द्र पाण्डियन ने स्वीकार किया कि दूसरी लहर इतनी तेज थी कि एक समय ऐसा भी आया, जब अस्पताल में एक बेड के लिए लाइन में लगे 100 लोग भर्ती मरीज के मरने का इंतजार करते रहे. नगर निगम की ओर से आयोजित निगरानी समिति की बैठक में उन्होंने तीसरी लहर को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि दूसरी लहर को लेकर हम लोगों ने प्रयास किया है, आगे भी करेंगे.
भावुक होते हुए डीएम बोले, कहां गई हमारी जिम्मेदारी?
भावुक होते हुए डीएम ने कहा कि कहां खो गई है हमारी जिम्मेदारी ?. आप उंगली उठाकर बताइए, कोई परिवार छूटा है इससे. मैं खुद भी संक्रमित था. मेरा पूरा परिवार प्रभावित हुआ है. परिवार को दूसरे जगह भेजकर काम कर रहा हूं कि उन्हें दोबारा न हो जाए. उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि कब तक ये लापरवाही चलेगी. ये वायरस हम लोगों का ही इस्तेमाल करता है. हम लोग के मेल-जोल के हिसाब से फैलता है. सावधान होते तो वहीं रुक जाता. सरकार बार-बार कह रही है. मास्क पहनो और सामाजिक दूरी बनाओ.
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नहीं होने देंगे बेड की कमी
डीएम ने कहा कि जून तक बेड की संख्या में इतनी वृद्धि कर रहे हैं कि बेड की कोई कमी नहीं रहेगी. हर 5 किलोमीटर में 50-50 बेड मिलेगा. पांच जगह बेड हम बनाने जा रहे हैं. 5000 बेड हम बनाने जा रहे हैं. लेकिन, जब तक निचले स्तर पर इसे रोकने के लिए प्रयास नहीं होगा, हम इसे रोक नहीं पाएंगे. गोरखपुर की जनसंख्या 55 से 60 लाख है. 55 से 60 हजार लोग पहली और दूसरी वेब में संक्रमित हो चुके हैं. अभी हमारा ग्राफ गिरा है.
दोबारा ऐसी भयावह स्थिति देखने को ना मिले
उन्होंने कहा इस बार वेरियेंट बहुत तेज है. तीसरे दिन में 80 फीसदी फेफड़ा संक्रमित हो जाता है. 1000-1000 आदमी एक दिन में आ जाता था. किसे बेड दें हम लोग ऐसे भी हालत में थे. एक दिन 100 लोग लाइन में थे, एक बेड के लिए. मरने के लिए इंतजार कर रहे थे. आदमी मरेगा, तब वो बेड मिलेगा. दोबारा ऐसी स्थिति हमारे किसी के भी जिंदगी में देखने को नहीं मिलनी चाहिए. ये बीमारी तीन साल हमारे साथ रहने वाली है. सभी लोग परिवार को सुरक्षित रखें.
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मास्क और तकनीक से कई देश हुए कोरोना मुक्त
डीएम के. विजयेन्द्र पाण्डियन ने कहा कि दिल्ली में कोई लापरवाही करता है, तो सजा हमें भोगनी पड़ती है. देश की असली पूंजी जनता है. वही देश है. बाकी चीज बनती बिगड़ती रहती हैं. हम कितने सतर्क और जागरूक है, ये हम पर निर्भर करती है. बहुत से छोटे देश मास्क और कुछ देश तकनीक से इससे आजाद हो गए हैं. वहां के मुखिया की बात मानते हैं. इसलिए जिंदगी बचा हुआ है.
आपको बता दें कि गोरखपुर जिलाधिकारी के. विजयेन्द्र पाण्डियन उस समय चर्चा में आए थे, जब उनका एक ऑडियो दूसरी लहर के पेंडेमिक के पीक पर वायरल हुआ था. जिसमें वे बेड की डिमांड करने पर मरीज के तीमारदार को लताड़ लगाते हुए कह रहे थे कि ‘बेड पर पड़े मरीज को क्या मरवा दूं...या आप बेड में पड़े लोगों को खींचकर बाहर डालकर खुद वहां लेट जाओ...और क्या कर सकते हैं. इंतजार करो.’
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