नवाबों के शहर का नवाबी बकरा: महीने का खर्चा 30000, खाने को काजू-बादाम, सोने को चाहिए AC और पलंग
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नवाबों के शहर का नवाबी बकरा: महीने का खर्चा 30000, खाने को काजू-बादाम, सोने को चाहिए AC और पलंग

आम बकरों के मुकाबले से ज्यादा लंबा यह राजा नाम का बकरा दिखने में बेहद खूबसूरत हैं, जिसको दूर दराज़ से लोग देखने आते है और मुंह मांगी क़ीमत लगाते हैं. 

बकरे के मालिक मोहम्मद इक़बाल के मुताबिक़ राजा नाम के इस बकरे पर रोज़ाना एक हज़ार से ज़्यादा का खर्चा होता है.

अहमर हुसैन/लखनऊ: ईद उल अजहा यानी कि बकरीद में अब कुछ ही दिन बाकी हैं. बकरीद से पहले बकरों कि खरीदारी शुरू हो चुकी है. लेकिन एक बकरा नवाबों के शहर लखनऊ में इन दिनों सुर्खियां बना हुआ है. एक कुंतल से ज़्यादा भारी और लंबाई में आम बकरों के मुकाबले से ज्यादा लंबा यह राजा नाम का बकरा दिखने में बेहद खूबसूरत हैं, जिसको दूर दराज़ से लोग देखने आते है और मुंह मांगी क़ीमत लगाते हैं. 

बकरे पर महीने में खर्च होते हैं 30 हज़ार रुपये
राजा नाम के इस बकरे के मालिक मोहम्मद इक़बाल के मुताबिक़ इस बकरे पर रोज़ाना एक हज़ार से ज़्यादा का खर्चा होता है, यानी महीने का तक़रीबन 30 हज़ार रुपया जो एक मिडिल क्लास आदमी के महीने के खर्चे से भी ज़्यादा है. इसका नाम ही सिर्फ राजा नहीं है, रहन-सहन भी बेहद ठाठ वाले हैं. यह आम बकरों की तरह सिर्फ पत्ते नहीं खाता है, बल्कि इसे सुबह शाम बादाम, काजू, वाले मेवे पसंद हैं. यही नहीं रात में सोने के लिये ज़मीन नहीं है बल्कि कूलर और एसी में पलंग चाहिये होता है,वरना यह रात भर सोता नहीं है. 

लाखों में लगी बकरे की बोली
इस बकरे के मालिक इस बकरे को बेचना नहीं चाहते हैं जबकि इस बकरे की क़ीमत बाजार में लाखों में लगायी जा चुकी है. बकरे के मालिक का कहना है कि बकरे को कोई दूसरा आदमी सही से रख पाएगा भी या नहीं, इसलिए वह उसको अपने पास ही रखना चाहते हैं. लेकिन बक़रीद के त्योहार में बचपन से पाल पोस कर नाज़ों से पाले इस बकरे को वह दिल पर पत्थर रख कर अल्लहा की राह में क़ुर्बान करना चाहते हैं. 

21 जुलाई को मनाया जाएगा त्योहार
भारत में बक़रीद का त्योहार 21 जुलाई को मनाया जाएगा. बक़रीद को कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है. इस दिन मुसलमान महंगे से महंगा बकरा खरीद कर कुर्बान करते हैं जिसका हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को दिया जाता है. देश में बकरीद के मौके पर बड़ा कारोबार होता है. गांव, देहात से किसान और व्यापारी बकरे लेकर मंडियों में बेचने आते हैं जिससे उनको अच्छा मुनाफा हासिल होता है. 

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