लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली की चोरी के मामले कम हो गए हैं, बिजली कंपनियों के द्वारा बिजली चोरी के पकड़े गए केस को देखते हुए ऐसा कहा तो जा सकता है लेकिन क्या यही सच है? बिजली चोरी के मामले पांच माह पहले यानी जुलाई में जहां 20,700 दर्ज हुए, नवंबर माह के महज 24 दिन की अवधि में 1632 मामले ही दर्ज हुए. चोरी के केस में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा की कमी आने पर यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के द्वारा सवाल खड़े किए गए हैं. परिषद ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि बिजली चोरों के प्रति ढिलाई दी जा रही है और उन पर मेहरबानी की जा रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ से पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच किए जाने की मांग उठाई है.
1632 मामले का राजस्व
पावर कॉरपोरेशन के आरएमएस पोर्टल के आंकड़ों को देखें तो जुलाई में 20,700 केस को पकड़ा गया. 149 करोड़ रुपये इसका राजस्व निर्धारण थे. वहीं, नवंबर के महीने में 24 दिनों में चोरी के 1632 केस धरे गए. इसका राजस्व निर्धारण 12 करोड़ रुपये रहा है. मात्र पांच माह में ही बिजली चोरी के केस 90 प्रतिशत से ज्यादा की कमी पर उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा की ओर से प्रश्न किए गए हैं कि वैसे तो कारपोरेशन में विजिलेंस विभाग के महानिदेशक, एसपी, डिप्टी एसपी से लेकर इंस्पेक्टर व सिपाही तैनात किए गए हैं पर बिजली चोरी के मामलों में जानबूझकर ढील दी जा रही है. मामलों को पकड़ने की जगह ओटीएस योजना के तहत 65 फीसदी की छूट दी जा रही है.
दबाए गए बिजली चोरी के केस
जुलाई माह में कुल मामले 20700, एफआइआर दर्ज- 17757, राजस्व निर्धारण (करोड़ रु. में)- 149.00
अगस्त माह में कुल मामले 19551, एफआइआर दर्ज- 16513, राजस्व निर्धारण (करोड़ रु. में)- 137.00
सितंबर माह में कुल मामले 15507, एफआइआर दर्ज- 12788, राजस्व निर्धारण (करोड़ रु. में)- 128.00
अक्टूबर माह में कुल मामले 9917, एफआइआर दर्ज- 6797, राजस्व निर्धारण (करोड़ रु. में)- 84.00
नवंबर (24 तक) माह में कुल मामले 1632, एफआइआर दर्ज, राजस्व निर्धारण (करोड़ रु. में)- 895, राजस्व निर्धारण (करोड़ रु. में)- 12.00
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