Maharajganj: पाकिस्तान की जेल से करीब 2.5 साल बाद छूट कर घर पहुंचा महराजगंज का उमेश, बोला- "वतन वापसी की नहीं थी उम्मीद"
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Maharajganj: पाकिस्तान की जेल से करीब 2.5 साल बाद छूट कर घर पहुंचा महराजगंज का उमेश, बोला- "वतन वापसी की नहीं थी उम्मीद"

Maharajganj News: दो साल तीन महीने पाकिस्तान की जेल में रहने के बाद हाल ही में रिहा हुए महराजगंज निवासी उमेश घर पहुंच गए. उमेश को सकुशल देखकर स्वजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

Maharajganj Pakistan Jail Return Man Umesh

अमित त्रिपाठी/महराजगंज: उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले का रहने वाला उमेश पाकिस्तान की जेल से छूटकर अपने वतन भारत वापस आ गया है. उमेश पिछले 27 महीनों से पाकिस्तान की जेल में बंद था. जेल से रिहा होने के बाद वह सीधे घर पहुंचा. यहां परिवार को देखकर उसकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े. वहीं, बेटे के घर वापसी पर परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अपने लाल की वतन वापसी से गांव में भी खुशी का माहौल है. 

कैसे पहुंचा पाकिस्तान? 
उमेश बृजमनगंज थाना क्षेत्र के ग्रामसभा बरगाहपुर निवासी है. वह गरीबी में जीवन काटने को मजबूर था. उमेश निषाद ने बताया कि रोजी रोटी की ही तलाश में वह गुजरात कमाने गया था. जहां समुद्र में मछली पकड़ने के दौरान 19 मार्च 2021 को मोटर बोट का पट्टा टूट गया.  मोटर बोट बहते हुए पाकिस्तानी सीमा में चला गया. जहां नाव पर सवार पांच व एक अन्य व्यक्ति को पाकिस्तानी नेवी के जवानों ने पकड़ लिया और कराची ले गए. यहां सभी लोगों से पुलिस कस्टडी में कड़ाई से पूछताछ की गई. इसके बाद मलीर जेल में भेज दिया गया. 

पाकिस्तानी जेल में डर के साये में जी रहा था जीवन 
उमेश ने बताया कि 27 महीने वह पाकिस्तानी जेल में डर के साये में जीवन काट रहा था. पाकिस्तानी सेना के कब्जे में रहने के दौरान उसको यकीन नहीं था कि वह कभी परिवार के बीच पहुंच पाएगा. वहां न खाने का भरोसा था और न ही जीने का. बस हमेशा अपने देश और परिवार की याद सताती रहती थी. इसी बीच उमेश को वतन वापसी को लेकर खबर मिली, जिसे सुनकर वह यकीन नहीं कर पा रहा था. 

भारत सरकार ने की पहल 
भारत सरकार की पहल से तीन जून को पाकिस्तानी सैनिकों ने 200 मछुआरों को बाघा बार्डर पर बीएसएफ को सुपुर्द किया. जिसके बाद उमेश अपने घर पहुंचा. उमेश को सही सलामत देख कर परिजनों की आंखों से आंसू छलक पड़े. घर पहुंचते ही परिवार के लोग उसे गले लगाकर रोने लगे. इस दौरान परिजनों ने भारत सरकार के प्रयास की सराहना की. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी. उमेश ने बताया कि वह चाहता है कि बेटी को पढ़ाकर डॉक्टर बनाए और एक मकान बनवा ले. बेटी को पढ़ाने-लिखाने के लिए ही वह कमाने के लिए गुजरात गया था. 

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