आज से मंडुआडीह रेलवे स्टेशन हुआ इतिहास, अब बनारस जाया करेंगी ट्रेनें
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आज से मंडुआडीह रेलवे स्टेशन हुआ इतिहास, अब बनारस जाया करेंगी ट्रेनें

इसके तहत स्टेशन पर लिखा मंडुआडीह नाम के बोर्ड को भी हटा दिया गया है. यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी स्टेशन का नाम बदलने की अनुमति दे दी है.

मंडुआडीह रेलवे स्टेशन अब बनारस के नाम से जाना जाएगा.

वाराणसी: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित मंडुआडीह रेलवे स्टेशन अब इतिहास के पन्नों में समा गया है. उत्तर प्रदेश सरकार की पहल पर मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर बनारस कर दिया गया है. 20 सितंबर से मंडुआडीह अब बनारस रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाएगा. स्टेशन पर लिखे मंडुआडीह नाम को हर दीवार और बोर्ड से हटा दिया गया है. यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने स्टेशन का नाम बदलने की अनुमति शनिवार को दे दी थी. रेलवे ने पहले ही इस पर अपनी सहमति जता दी थी.

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रेलमंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर दी जानकारी
स्टेशन का नाम बदलने को लेकर रेलमंत्री पीयूष गोयल ने लिखा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मंडुआडीह स्टेशन को अब पूरे देश में लोकप्रिय व प्रसिद्ध नाम बनारस से जाना जाएगा. उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल द्वारा, केंद्र सरकार के अनापति पत्र के आधार पर इस स्टेशन का नाम परिवर्तित कर बनारस रखने की अनुमति दी गई.'' केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 17 अगस्त को ही मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए मंजूरी दे दी थी. 

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इससे पहले मुगलसराय का नाम भी बदल चुका है
मंडुआडीह का नाम बदलकर बनारस करने के पीछे मकसद इस ऐतिहासिक शहर की पुरानी पहचान को कायम रखना है. काशी को बनारस नाम से ही देश और विदेश में जाना जाता है. यूपी में इससे पहले मुगलसराय स्टेशन का नाम बदला गया था जो अब दीन दयाल उपाध्याय के नाम से जाना जाता है. इसी वर्ष फरवरी में इलाहाबाद जंक्शन का नाम बदलकर प्रयागराज जंक्शन कर दिया गया था. प्रयागराज के 4 स्टेशनों में इलाहाबाद सिटी स्टेशन, रामबाग और इलाहाबाद छिवकी स्टेशन के नाम भी बदले गए थे.

 

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