मथुरा-वृन्दावन आने वाले श्रद्धालुओं को ब्रज संस्कृति से भी रूबरू करवाएं: संस्कृति सचिव अरुण गोयल
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मथुरा-वृन्दावन आने वाले श्रद्धालुओं को ब्रज संस्कृति से भी रूबरू करवाएं: संस्कृति सचिव अरुण गोयल

मथुरा-वृन्दावन के भ्रमण पर आए भारत सरकार के संस्कृति सचिव अरुण गोयल ने यहां की संस्थाओं से आह्वान किया है कि वे ब्रज के मंदिरों के दर्शन के लिए आने वाले दर्शकों एवं पर्यटकों को यहां की अमूल्य थाती - ब्रज संस्कृति से भी रूबरू कराएं. 

मथुरा-वृन्दावन आने वाले श्रद्धालुओं को ब्रज संस्कृति से भी रूबरू करवाएं: संस्कृति सचिव अरुण गोयल

मथुरा:  मथुरा-वृन्दावन के भ्रमण पर आए भारत सरकार के संस्कृति सचिव अरुण गोयल ने यहां की संस्थाओं से आह्वान किया है कि वे ब्रज के मंदिरों के दर्शन के लिए आने वाले दर्शकों एवं पर्यटकों को यहां की अमूल्य थाती - ब्रज संस्कृति से भी रूबरू कराएं. 

गोयल यहां रविवार को वृन्दावन स्थित वृन्दावन शोध संस्थान एवं मथुरा में स्थित राजकीय संग्रहालय का अवलोकन करने के लिए पहुंचे थे. वृन्दावन में ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के दर्शन करने के बाद अरुण गोयल वृन्दावन शोध संस्थान पहुंचे जहां उन्होंने संस्थान द्वारा संरक्षित प्राचीन पांडुलिपियों और ब्रज संस्कृति से जुडे़ साहित्य एवं अन्य कलाकृतियों का अवलोकन किया. 

उन्होंने संस्थान के अधिकारियों से कहा कि अभी तक यहां के संग्रह से केवल शोधार्थी ही लाभ उठा पा रहे हैं. इसलिए यहां ऐसे प्रकल्प भी शुरू होने चाहिए कि जिनसे मंदिरों के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु तथा ब्रज के आमजन भी शोध संस्थान में संरक्षित ब्रज की संस्कृति का ज्ञान अवश्य ले सकें.

संस्कृति सचिव ने कहा, ‘‘संस्थान के खाली पड़े भूखंड पर ऐसे प्रकल्प शुरू होने चाहिए, जिससे श्रद्धालु और पर्यटक यहां आएं और ब्रज की परंपरा व संस्कृति की जानकारी लें. ऐसे में वे मंदिरों के दर्शन के साथ ब्रज की संस्कृति से भी रूबरू हो सकेंगे. इसके लिए संस्कृति मंत्रालय संस्थान की मदद करेगा.’’ 

इस दौरान गोयल ने वृंदावन शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘ब्रज संस्कृति विश्वकोश’ भाग तीन एवं ‘पांडुलिपि का क-ख-ग’ पुस्तक का लोकार्पण किया तथा संस्थान के ऑडीटोरियम, हस्तलिखित ग्रंथों के ग्रंथागार, ब्रज संस्कृति संग्रहालय का भी जायजा लिया.

उन्होंने संस्थान के निदेशक सतीश चंद्र दीक्षित को सलाह दी कि ब्रज संस्कृति को लेकर उच्च स्तरीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म बननी चाहिए. संस्थान का बाहरी स्वरूप भी आकर्षक होना चाहिए.’ पहली बार मथुरा के राजकीय संग्रहालय गए संस्कृति सचिव अरुण गोयल ‘मथुरा स्कूल ऑफ आर्ट’ की अद्वितीय कलाकृतियां देखकर हतप्रभ रह गए. 

उन्होंने कहा, ‘‘जितनी उन्नत कलाकृतियां व जितना बड़ा भण्डार यहां मौजूद है उसे यदि सही प्रकार से प्रदर्शित करने और उनके बारे में जानकारियां प्रसारित-प्रचारित करने का प्रयास किया जाए तो निश्चित रूप से यहां देश-विदेश के पर्यटकों की लाइनें लग सकती हैं. सच में यह अद्वितीय एवं अद्भुत है.’ 

उन्होंने संग्रहालय के निदेशक डॉ एसपी सिंह को संग्रहालय के विकास एवं पर्यटक सुविधाओं के संबंध में योजनाएं बनाने के लिए प्रेरित किया. 

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