नैनीताल HC ने दिए आदेश, घास के मैदानों से स्थायी ढांचे तीन महीने में हटाए
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नैनीताल HC ने दिए आदेश, घास के मैदानों से स्थायी ढांचे तीन महीने में हटाए

गुरुग्रंथ साहिब की पंक्ति 'पवन पानी धरती आकाश घर मंदर हर बानी' का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय की पीठ ने ये आदेश दिया. 

इको-सेंसिटिव जोनों में छह सप्ताह के भीतर इको-डेवलपमेंट कमेटियां बनाने को भी कहा गया है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली/नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार (21 अगस्त) राज्य सरकार को अल्पाइन, सब-अल्पाइन मीडोज और घास के मैदानों से सभी प्रकार के स्थायी ढांचे तीन माह के अंदर हटाने के आदेश दिए. हवा, पानी और आकाश को भगवान का घर बताने वाली पवित्र सिख धर्मग्रंथ की एक पंक्ति का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की पीठ ने राज्य सरकार को आली-बेदिनी-बागजी बुग्यालों समेत प्रदेश में स्थित अल्पाइन, सब अल्पाइन मीडोज और घास के मैदानों से सभी स्थायी संरचनाएं तीन माह के अंदर हटाने के आदेश दिए. 

आदेश में राज्य सरकार को प्रकृति, पर्यावरण और पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए इको-सेंसिटिव जोनों में छह सप्ताह के भीतर इको-डेवलपमेंट कमेटियां बनाने को भी कहा गया है. गुरुग्रंथ साहिब की पंक्ति 'पवन पानी धरती आकाश घर मंदर हर बानी' का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय की पीठ ने अल्पाइन, सब अल्पाइन, मीडोज और बुग्यालों (घास के मैदानों) में घूमने के लिए पर्यटकों की अधिकतम संख्या 200 तक सीमित करते हुए वहां रात्रि विश्राम पर पूरी तरह से रोक लगा दी.

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आदेश में यह भी कहा गया है कि इन जगहों पर किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जायेगा. इन घास के मैदानों में मवेशियों को चराने की केवल स्थानीय चरवाहों को ही अनुमति होगी और उनके लिए भी मवेशियों की समुचित संख्या निर्धारित की जायेगी. उच्च न्यायालय ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को घास के मैदानों से छह सप्ताह के भीतर प्लास्टिक की बोतलें और कैन इत्यादि हटवाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं. 

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