कोरोना काल में उत्तराखंड लौटे 3.57 लाख प्रवासियों में 1 लाख ने फिर किया पलायन
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कोरोना काल में उत्तराखंड लौटे 3.57 लाख प्रवासियों में 1 लाख ने फिर किया पलायन

 सरकार की तरफ से भी प्रवासियों को स्वरोजगार से जोड़ने की पूरी कोशिश की जा रही है, लेकिन कामयाबी की रफ्तार अभी उतनी नहीं है जिस तरह की उम्मीदें जताई जा रही थीं. अब इसके पीछे क्या वजह है यह सरकार के लिए भी सोचनीय विषय है.

सांकेतिक तस्वीर.

देहरादून: कोविड-19 के दौर में उत्तराखंड लौटे 3.57 लाख प्रवासियों में 1 लाख प्रवासी फिर पलायन कर वापस लौट गए हैं. अपने आप में यह विषय चिंताजनक है कि पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखंड में रिवर्स पलायन आज भी एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है. कोविड-19 के दौर में बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंड लौटे तो एक उम्मीद जगी कि शायद पहाड़ के वीरान पड़े गांव फिर से आबाद हो सकें और यहां की बंजर खेती फिर से लहलहा उठे. सरकार की तरफ से भी प्रवासियों को स्वरोजगार से जोड़ने की पूरी कोशिश की जा रही है, लेकिन कामयाबी की रफ्तार अभी उतनी नहीं है जिस तरह की उम्मीदें जताई जा रही थीं. अब इसके पीछे क्या वजह है यह सरकार के लिए भी सोचनीय विषय है.

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महज 12% ही जुड़ पाए स्वरोजगार से
कोविड-19 के चलते लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बाद उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रदेश सरकार ने कई स्वरोजगार योजनाएं संचालित की. इसमें सबसे प्रमुख मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना रही. इसके तहत युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सरकार की तरफ से उन्हें हर संभव मदद भी की जा रही है. लेकिन अभी तक महज 12% प्रवासी ही स्वरोजगार से जुड़ पाए हैं. अब तक 29% प्रवासी पलायन कर चुके हैं तो  71 फीसदी प्रवासी अपने मूल निवास या उसके आसपास के क्षेत्रों में चले गए हैं, जिनमें तकरीबन 33% कृषि, 38% पशुपालन, 17% मनरेगा समेत अन्य आजीविका पर निर्भर हैं.

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प्रवासियों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए अब राज्य सरकार ने विभागीय सचिवों को जिम्मेदारी सौंपी है. इसके लिए मुख्यमंत्री ने उन्हें सख्त दिशा-निर्देश भी दिए हैं और कहा है कि इस कार्यक्रम को मिशन मोड में संचालित किया जाए. सीएम ने अधिकारियों को कहा कि सरकार का उद्देश्य राज्य के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार व स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है और इसके लिए सभी संबंधित विभाग रोजगार परक योजनाओं के चिन्हीकरण के साथ ही आपसी समन्वय के साथ कार्ययोजना पर फोकस करें. प्रशिक्षित युवाओं का बेहतर मार्गदर्शन के साथ ही जिस क्षेत्र में भी युवा अपनी अभिरुचि दिखाएं इसके लिए उनके मार्गदर्शन की भी प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.

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