पीएफआई नेता असीम आलम ने कहा कि मेरठ में हुई घटना से भी हमारे संगठन का कोई संबंध नही है. उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को संविधान के खिलाफ बताया.
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शोएब रजा/नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान हिंसक प्रदर्शनों के पीछे पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) का हाथ सामने आया है. इन आरोपों का पीएफआई के सेक्रेटरी अनीस आलम ने खंडन किया है. अनीस आलम ने कहा, 'हमारे खिलाफ इल्जामों का सिलसिला काफी समय से चलता आ रहा है. सरकार के पास हमारे खिलाफ सबूत नही है.'
पीएफआई नेता असीम आलम ने कहा कि मेरठ में हुई घटना से भी हमारे संगठन का कोई संबंध नही है. अनीस आलम का कहना है कि सरकार धर्म के नाम पर बंटवारा कर रही है, जो सही नहीं है. उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को संविधान के खिलाफ बताया. गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के मामले में कुछ नए खुलासे हुए हैं.
इन प्रदर्शनों के दौरान हो रही हिंसा में पीएफआई की बड़ी भूमिका होने की बात कही जा रही है. ऐसी खबर है कि खुफिया एजेंसियों के हाथ पीएफआई के खिलाफ ऐसे पुख्ता सबूत लगे हैं, जो साबित करते हैं कि इन हिंसात्मक विरोध प्रदर्शनों के पीछे यह संगठन ही है. दक्षिणी भारत के कई हिस्सों में पीएफआई के सक्रिय होने की बात सामने आई है. कई राज्यों के गृह मंत्रालयों को भी इसकी जानकारी खुफिया एजेंसियों ने दी थी. उत्तर प्रदेश में अब तक पीएफआई के 25 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है.
उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि पीएफआई के खिलाफ पुलिस के हाथ कई पुख्ता सबूत लगे हैं, जिससे साबित होता है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में यह संगठन पूर्ण से सक्रिय था. डीजीपी ने सबूत के तौर पर दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक फुटप्रिंट्स की बात कही. उन्होंने ये भी कहा कि इन सबूतों के आधार पर ही पीएफआई के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी.